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इंतिहा. सदर अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन के नाम पर खिलवाड़, होमगार्ड जवान कर रहे मरीजों की जांच !

देवघर: सदर अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर के नाम पर मरीजों से खिलवाड़ किया जा रहा है. मरीजों की जिंदगी से शिविर संचालक खेल रहे हैं. शिविर में आने वाले मरीजों का ऑपरेशन पूर्व जांच जैसे-तैसे किया जाता है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, मोतियाबिंद ऑपरेशन के पूर्व व पश्चात मरीजों की जांच […]

देवघर: सदर अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर के नाम पर मरीजों से खिलवाड़ किया जा रहा है. मरीजों की जिंदगी से शिविर संचालक खेल रहे हैं. शिविर में आने वाले मरीजों का ऑपरेशन पूर्व जांच जैसे-तैसे किया जाता है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, मोतियाबिंद ऑपरेशन के पूर्व व पश्चात मरीजों की जांच डॉक्टर द्वारा की जानी चाहिए.

लेकिन सोमवार को सदर अस्पताल में संस्था द्वारा संचालित शिविर में मरीजों की जांच एक गृहरक्षक जवान द्वारा की जा रही थी. मरीजों ने बताया कि नाम लिख कर बीपी मापने के बाद एक लकड़ी जैसा चीज देकर पेशाब में डूबा लाने कहा जाता था. इसके बाद सिर पर लिकोप्लास्ट में लिखा नंबर चिपका दिया जा रहा है. रात करीब आठ बजे तक कुल 74 मरीजों का पंजीयन हो चुका था, जबकि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि एक दिन में कुल 50 मरीज का ही ऑपरेशन हो सकता है. बावजूद स्वास्थ्य विभाग की नियमों को ताक पर रख कर संस्था वाले शिविर चला रहे हैं.

शिविर में दूर-दूर के ग्रामीण इलाकाें से नेत्र मरीज अपने आंखों की रोशनी लौटाने के लिए उक्त शिविर में ऑपरेशन कराने पहुंचे हैं. इन मरीजों में काफी संख्या में वृद्ध महिला-पुरुष भी शामिल हैं. मरीजों का कहना है कि सुबह से डॉक्टर का इंतजार करते-करते रात हो चुकी है, लेकिन अब तक डॉक्टर नहीं पहुंचे हैं. शिविर संचालक मरीजों को आश्वासन दे रहे थे कि अब ट्रेन आने ही वाली है. सूत्रों के अनुसार, शिविर में मोतियाबिंद ऑपरेशन करने डॉक्टर पश्चिम बंगाल से आते हैं. एक बार उक्त शिविर में 70 व एक बार 94 मरीजों का ऑपरेशन किया गया है. इस पर सदर अस्पताल के नेत्र चिकित्सक द्वारा आपत्ति जताते हुए रजिस्टर पर कमेंट भी लिखा गया है.

इधर, सूत्राें की मानें तो मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर में बतौर ओटी सहायक एक चश्मा दुकानदार रहते हैं. वहीं ऑपरेशन के दूसरे दिन ही मरीजों को छोड़ दिया जाता है, जबकि प्रति मरीज संस्था को एक हजार रुपये का आवंटन मिलता है, ताकि मरीजों को भोजन व दवा उपलब्ध करायी जाये. सर्जरी के तीसरे दिन मरीजों को डिस्चार्ज करने का नियम है. इस पूरे मामले में संस्था वालों ने किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. प्रेस छायाकारों के कैमरा का फ्लैश चमकते ही शिविर संचालन में लगे अधिकांश सदस्यों ने किनारा ले लिया. जानकारी हो कि सदर अस्पताल में सामुदायिक चेतना विकास/ झारखंड कल्याण परिषद की ओर से मुफ्त मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर का आयोजन किया गया है.

जिसे डॉक्टर ने मना किया, उसका भी ऑपरेशन
मोतियाबिंद शिविर में एक ऐसी महिला मरीज का ऑपरेशन किया गया है, जिसे डॉक्टर ने कह दिया था कि उसकी आंख का नस सूख चुका है. सर्जरी के बाद भी रोशनी नहीं आ सकती. उक्त मरीज बिहार के ही जमुई जिले के खैरा गांव निवासी मीना देवी है. मीना ने बताया कि उसका ऑपरेशन 16 तारीख के शिविर में हुआ. ऑपरेशन के बाद भी उसके आंख में रोशनी नहीं लौटी. अब शिविर संचालकों ने यह कह कर पुन: बुलाया है कि आंख में दवा डालेंगे तो रोशनी आ जायेगी.
क्या कहते हैं नेत्र डॉक्टर
पंजी पर दो बार कमेंट लिख चुका हूं. एक बार 70 व दूसरी बार 94 मरीजों का शिविर में मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया है. पश्चिम बंगाल से डॉक्टर बुला कर ऑपरेशन कराया जाता है. प्री-ऑपरेशन व पोस्ट-ऑपरेशन केयर मरीजों का नहीं किया जाता है. यह जानकारी मिली है कि मरीजों की जांच होमगार्ड जवान करते हैं और ओटी एसिस्टेंट के तौर पर दवा दुकानदार रहते हैं. प्रति मरीज दवा व भोजन मद में एक-एक हजार का आवंटन मिलता है. तीसरे दिन मरीजों को रिलीज किया जाना चाहिये किंतु दूसरे दिन ही मरीजों को छुट्टी दे दी जाती है. उक्त जानकारी सीएस को दे चुके हैं.
-डॉक्टर विजय कुमार, नेत्र सर्जन, सदर अस्पताल
क्या कहते हैं डीएस
संस्था की मनमानी है. कहने पर भी वे लोग नहीं मानते. पूरी जानकारी सिविल सर्जन को दे चुके हैं कि नियम विरुद्ध मरीजों का मोतियाबिंद ऑपरेशन किया जा रहा है.
-डॉक्टर सोबान मुर्मू
उपाधीक्षक सदर अस्पताल
क्या कहते हैं संस्था सदस्य
106 मरीजों का रजिस्ट्रेशन था, लेकिन देर से डॉक्टर के पहुंचने के कारण देर रात तक 45 मरीजों का ऑपरेशन हो सका है.
-कमलेश्वरी झा
झारखंड कल्याण परिषद

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