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जिले में केबल टीवी के हैं लाखों उपभोक्ता, करोड़ों रुपये का होगा कारोबार, बिना रसीद बेचे जा रहे सेट टॉप बॉक्स

देवघर : चार साल पहले केंद्र सरकार ने टीवी उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और टीवी जगत के पारदर्शी आंकड़े प्राप्त करने व सिग्नल प्रावाइडर्स की मनमानी रोकने के लिए केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमन कानून के जरिये सेट टॉप बॉक्स को टीवी का अनिवार्य हिस्सा बना दिया था. लेकिन, सेट टॉप बाक्स लगाने के नाम […]

देवघर : चार साल पहले केंद्र सरकार ने टीवी उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और टीवी जगत के पारदर्शी आंकड़े प्राप्त करने व सिग्नल प्रावाइडर्स की मनमानी रोकने के लिए केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमन कानून के जरिये सेट टॉप बॉक्स को टीवी का अनिवार्य हिस्सा बना दिया था.
लेकिन, सेट टॉप बाक्स लगाने के नाम पर देवघर जिले में उपभोक्ता के हित तो ठेंगे पर रखे ही जा रहे हैं,साथ ही पूरी कवायद अंधेरे में चल रही है. उपभोक्ताअों से सेट टॉप बाक्स की मनमानी (1400 से 1500 रुपये) रकम वसूली जा रही है. जिले में करोड़ों रुपये के सेट टॉप बाक्स के कारोबार होने की संभावना है. लेकिन केबल संचालक उपभोक्ताअों को सेट टॉप बाक्स का पक्का बिल या रसीद तक तत्काल मुहैया नहीं करा रहे हैं. पैकेज निर्धारण न हो पाने का बहाना बनाया जा रहा है. उपभोक्ताओं काे बाद में रसीद देने का वादा किया जा रहा है. मालूम हो कि 31 दिसंबर के बाद से देश भर में केबल टीवी द्वारा सीधा प्रसारण नहीं हो रहा है. इसके लिए उपभोक्ताअों को टीवी के साथ सेट टॉप बाक्स लगाना जरूरी बताते हुए अनिवार्य किये जाने की घोषणा की गयी है. घोषणा के बाद ही शहरी क्षेत्र के केबल संचालकों ने पहली जनवरी से अपने उपभोक्ताअों के टीवी पर होने वाले प्रसारण पर रोक लगा रखी है. जिन लोगों ने सेट टॉप बाक्स की कीमत अदा की, उनके यहां प्रसारण चालू हो गया है.
अंधेरे में हो रहा करोड़ों का कारोबार
देवघर जिले की आबादी लगभग 14 लाख है. एक मोटे आकलन के मुताबिक, तकरीबन 50 फीसदी लोग केबल सिग्नल के जरिये टीवी देखते हैं. इस हिसाब से जिले में तकरीबन सात लाख लोग केबल उपभोक्ता होंगे. एक सर्वेक्षण के मुताबिक औसतन 6 व्यक्ति पर एक टीवी सेट होता है. इस लिहाज से जिले में कुल 1 लाख 16 हजार सेट टॉप की बिक्री होने वाली है. औसतन 1200 रुपये प्रति सेट टॉप बाक्स के हिसाब से भी देखें तो लगभग 14 करोड़ रुपये की वसूली की संभावना है. वैसे केबल संचालकों का कहना है कि जिले करीब 60 हजार उपभोक्ता होंगे. इस लिहाज से देखें तो भी तकरीबन 7 करोड़ 20 लाख रुपये की वसूली होगी. लेकिन पक्के बिल व पारदर्शिता के अभाव में न तो सेल टैक्स विभाग को राजस्व मिल सकेगा न ही उपभोक्ता के हितों का संरक्षण होगा.
क्या कहता है कानून
कोई भी उपभोक्ता बाजार से कोई प्रोडक्ट खरीदता है, तो उसके बदले कंपनी के प्रतनिधि या व्यवसायी पक्का बिल का भुगतान करने के साथ वारंटी व गारंट देते हैं. यदि किसी कारण कंपनी का प्रोडक्ट खराब हो गया तो उपभोक्ता इंस्योरेंस क्लेम व रिप्लेसमेंट का दावा पक्के बिल के आधार पर करते हैं. पक्के बिल के अभाव में उपभोक्ता दावा करने के लिए अधिकृत नहीं होते हैं.
कहते हैं केबल संचालक
इस संबंध में केबल संचालक भरत झा ने बताया कि सिटी केबल जी टीवी से संबंधित मल्टी चैनल कंपनी है.पहली जनवरी से केबल पर प्रसारण बंद होने के बाद सरकार के निर्देश पर उपभोक्ताअों को सेट टॉप बाक्स मुहैया कराया जा रहा है. चैनल के लिए पैकेज निर्धारण न होने के कारण बाक्स के बदले 1200 से 1500 रुपये लिये जा रहे हैं. फिलहाल उपभोक्ताअों से 180 से 200 रुपये मासिक किराया लिया जायेगा. अगले महीने पैकेज निर्धारण के बाद उपभोक्ताअों को रसीद उपलब्ध कराया जायेगा. उसमें किराया भी कम होने की संभावना है.
कहते हैं वाणिज्य कर उपायुक्त
15-20 दिन पूर्व शहर के कुछ केबल संचालकों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. इसके बाद परमिट भी लिया है. परमिट कितना यूज हुआ. आंकड़े के अभाव में उसका आकलन अगले माह टैक्स के बाद हो सकेगा. फिलहाल बाक्स पर कम से कम पांच फीसदी टैक्स देना पड़ेगा.
-आरके वर्मा, उपायुक्त, वाणिज्य कर विभाग, देवघर अंचल

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