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गुजर गया एक और साल, कई सपने रह गये अधूरे

न्यास की आस : पूरी नहीं हुई महत्वपूर्ण कांडों की सीआइडी जांच देवघर: वर्ष 2015 भी बीत गया, पीड़ित परिजन का यह वर्ष भी न्याय की आस में गुजर गया. शहर के महत्वपूर्ण अपराधिक कांडों की सीआइडी जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी. इन मामलों में नगर थाना क्षेत्र में घटित गोरेलाल झा हत्याकांड, […]

न्यास की आस : पूरी नहीं हुई महत्वपूर्ण कांडों की सीआइडी जांच
देवघर: वर्ष 2015 भी बीत गया, पीड़ित परिजन का यह वर्ष भी न्याय की आस में गुजर गया. शहर के महत्वपूर्ण अपराधिक कांडों की सीआइडी जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी. इन मामलों में नगर थाना क्षेत्र में घटित गोरेलाल झा हत्याकांड, मुरारी राज जजवाड़े हत्याकांड व ललित अपहरण-हत्याकांड प्रमुख हैं. गोरेलाल झा हत्याकांड वर्ष 2002 में हुआ था. इस संबंध में नगर थाना कांड संख्या 126/02 दर्ज है. मामले में उस वक्त सात नामजद व 10-12 अज्ञात को आरोपित बनाया गया था. इस कांड में पुलिस को सुराग नहीं मिला तो बाद में मामला सीआइडी को ट्रांसफर कर दिया गया. इस मामले में सीआइडी भी कुछ खास नहीं खोज सकी. बहुत दिन तक मामला सीआइडी में पड़ा रहा. हाल के एक-डेढ़ साल पूर्व पुन: सीआइडी में केस री-ओपेन हुआ. बावजूद अब तक मामले का सीआइडी जांच पूरा नहीं हो सका है. यही स्थिति मुरारी राज हत्याकांड का भी है. वर्ष 2006 में शयनशाला के समीप मुरारी राज जजवाड़े की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में भी जिला पुलिस को कुछ हाथ नहीं लगा तो कांड का अनुसंधान सरकार के आदेश पर सीआइडी में ट्रांसफर कर दिया गया. इधर वर्ष 2013 में स्वर्ण व्यवसायी ललित की अपहरण कर हत्या कर दी गयी थी. बाद में ललित का शव कुंडा थाना क्षेत्र के चितोलोढ़िया में स्थित एक सुनसान स्थल के कुएं में मिली थी. इस कांड को लेकर नगर थाने में दो अलग-अलग प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी थी.

पहला मामला ललित के गायब होने के बाद पहली पत्नी के बयान पर दर्ज किया गया था. बाद में उसकी लाश मिलने के बाद श्यामगंज रोड निवासी एक महिला के आवेदन पर दूसरी प्राथमिकी उसकी पत्नी समेत भाई, साले व अन्य के खिलाफ दर्ज कराया गया था. इस कांड में भी पुलिस कुछ सुराग नहीं खोज सकी तो जांच का जिम्मा सीआइडी को ही दे दिया गया. सीआइडी में मामला जाने के करीब एक साल से अधिक बीत रहा है. बावजूद कुछ सुराग नहीं मिल सका है. इस प्रकार यह कह सकते हैं कि वर्षों बीतने के बाद भी इन महत्वपूर्ण अपराध कांडों की सीआइडी जांच पूरी नहीं कर सकी है.
सदर अस्पताल को नहीं मिला जिला अस्पताल का दर्जा
संवाददाता, देवघर
दो वर्ष पहले दिसंबर 2013 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह ने देवघर अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा दिये जाने की घोषणा की थी. घोषणा दो बरस गुजरने के बाद भी दर्जा नहीं मिल पाया है. वर्ष 2015 के अंत तक जिला अस्पताल का दर्जा नहीं मिल सका. जबकि क्षेत्र के विधायकों ने विधानसभा में भी यह मामला उठाया था. बावजूद इसके कोई बदलाव नहीं हुआ. यदि देवघर अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा मिलता तो यहां कई विभागों में विशेषज्ञ चिकित्सक भी सेवारत रहते, जिसका देवघरवासियों को समुचित लाभ नहीं मिल पाता. मजबूरन यहां चिकित्सक छोटी से छोटी घटना होने पर भी प्राथमिक उपचार के बाद मरीज को हाइयर सेंटर रेफर कर देते हैं. उल्लेखनीय है कि दो माह पूर्व सरकार ने राज्य के चार सदर अस्पतालों (हजारीबाग, दुमका, रामगढ़ व एक अन्य जिले) में 56 चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति की गयी. यानि प्रत्येक सदर को 14 /14 चिकित्सक दिये गये. मगर इस बंटवारे में देवघर सदर अस्पताल को एक अदद चिकित्सक नहीं मिल सका. स्वास्थ्य विभाग के एक जानकारी के अनुसार सदर को जिला अस्पताल का दर्जा होता तो यहां 22-24 चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति होती. इसमें चार गाइकनोलॉजिस्ट, चार पेडीट्रिशियन, चार सर्जन, न्यूरो सर्जन, चार फिजिशियन, चार हड्डी रोग विशेषज्ञ के अलावा अल्ट्रासाउंड, इंजीयोग्राफी, इसीजी स्पेशलिस्ट(विशेषज्ञ) चिकित्सक होते. फिलहाल देवघर सदर में मात्र 12-13 चिकित्सक ही कार्यरत हैं. इसमें एक शिशु रोग, एक हड्डी, एक सर्जन, एक डेंटिस्ट, एक चर्मरोग समेत तीन-चार फिजिशियन आदि शामिल हैं.
दूसरे केस का चार्जशीट नहीं सौंप सकी सीबीआइ
देवघर भूमि घोटाला प्रकरण
संवाददाता, देवघर
826 करोड़ रुपये के देवघर भूमि घोटाला की गुत्थी पूरी तरह अब तक नहीं सुलझी है. सीबीआइ अब तक भूमि घोटाला में मात्र एक केस का ही चार्जशीट सौंप पायी है. 20 जून 2012 को सीबीआइ ने दाे अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की है. इसमें आरसी के संख्या 15(डी) 2012 व 16(डी)2012 है. इस मामले में धनबाद में सीबीआइ की विशेष अदालत में सुनवाई चल रही है. इसमें सीबीआइ ने एक केस की चार्जशीट पिछले वर्ष ही सौंप दी थी. जबकि अभिलेखागार चोरी कांड से जुड़ी केस की चार्जशीट अब तक नहीं सौंपी गयी है. अभिलेखागार चोरी कांड की जांच सीबीआइ द्वार जारी है. बताया जाता है कि सीबीआइ की ओर से लगातार दावा किया जा रहा था 2015 तक सीबीआइ अभिलेखागार चोरी कांड की जांच पूरी कर चार्जशीट सौंद दी जायेगी. लेकिन अब तक इस मामले में सीबीआइ की सिर्फ पूूछताछ ही चल रही है. इस कांड को लेकर सीबीआइ ने कई लोगों की पॉलिग्राफी टेस्ट भी की थी. फिर भी जांंच अब तक अधूरी है. हाल के दिनों में सीबीआइ ने कई संदिग्ध लोगों के ठिकाने में छापेमारी कर कुछ दस्तावेज भी बरामद किये थे. इस धीमी जांच से अब सवाल उठ रहा है कि क्या सीबीआइ 2016 में अभिलेखागार चोरी कांड की जांच पूरी कर भूमि घोटाले की गुत्थी सुलझा पायेगी.

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