देवघर: मंडल कारा के विचाराधीन नि:शक्त बंदी सत्यनारायण मंडल के फरार होने के करीब 84 घंटे बीत गये. अब तक उसकी गिरफ्तारी के लिए किसी टॉस्कफोर्स का गठन नहीं हो पाया है. वहीं मामले की जांच वैसे अधिकारी को दी गयी है, जो करीब एक सप्ताह से जिले से बाहर हैं. जबकि मामले की जांच किसी एसआइ व इंस्पेक्टर स्तर से भी करायी जा सकती थी. या फिर स्वयं एसपी भी मामले की जांच कर सकते थे. इससे लगता है कि पुलिस अपनी गलती छिपाने का प्रयास कर रही है. इस संबंध में जानकारी लेने के लिए एसपी के सरकारी मोबाइल नंबर 09470591079 व प्राइवेट मोबाइल नंबर पर कई बार कॉल किया गया. दोनों मोबाइल की घंटी बजती रही, लेकिन एसपी द्वारा कोई रिस्पांस नहीं लिया गया.
एसडीपीओ को मिला जांच का जिम्मा
बंदी के फरार होने के मामले की जांच का दायित्व एसडीपीओ अनिमेष नैथानी को दिया गया है. विभागीय सूत्रों के अनुसार श्री नैथानी करीब एक सप्ताह से किसी प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने बाहर गये हैं.
क्या है मामला
रिम्स, रांची से इलाज कराने के बाद पाटलीपुत्र एक्सप्रेस ट्रेन से वापस देवघर लाने के दौरान ऑटो चालक हत्याकांड का आरोपित सत्यनारायण मंडल पुलिस को चकमा देकर मधुपुर के समीप से फरार हो गया था. उक्त बंदी पैर से नि:शक्त भी है. बावजूद सुरक्षाकर्मी उसे नहीं रोक सके. इस संबंध में रेल थाना मधुपुर में घटना की प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है.
यह पहली घटना नहीं
बंदी की सुरक्षा की कमान लेने के बाद जवान के नहीं जाने की बात सामने आयी है. यह कोई नया मामला नहीं है. जेल सूत्रों की मानें तो मंडल कारा से कमान मिलने के बाद सुरक्षा कर्मी के नहीं जाने की यह पहली घटना नहीं है. इसके पूर्व भी कई बार उक्त सुरक्षाकर्मी कमान लेकर नहीं गये हैं. ये सुरक्षाकर्मी जेल प्रशासन की भी परवाह नहीं करते थे. कई बार जेल प्रशासन द्वारा पूछे जाने पर भी कोई असर नहीं हुआ है. जेल प्रशासन सुरक्षाकर्मी के इस रवैये से क्षुब्ध है. मामले की उच्चस्तरीय जांच करायी गयी तो नया तथ्य सामने आ सकता है.