देवघर: मोहनपुर थाना क्षेत्र का घोरमारा साइबर क्राइम का केंद्र बनाता जा रहा है. यहां के साइबर अपराधियों ने इस बार ऐसा फंडा अपनाया, जिसने पुलिस को भी चौंका दिया. अपराधियों ने एक 95 वर्ष के वृद्ध के नाम से जारी सिम कार्ड का उपयोग कर दूसरे के बैंक खाते से 10 लाख रुपये की ठगी कर अवैध निकासी कर ली. इसका खुलासा उस समय हुआ जब छत्तीसगढ़ की पुलिस ने घोरमारा में छापेमारी की.
दरअसल फरजी फोन कॉल के जरिये छत्तीसगढ़ के एक बड़े अधिकारी के बैंक अकाउंट से 10 लाख रुपये की निकासी हो गयी थी. इसकी शिकायत छत्तीसगढ़ पुलिस के पास आने के बाद जांच शुरु हुई. जांच में फोन कॉल का लोकेशन घोरमारा क्षेत्र का आया व जिस नंबर से कॉल आया था उसका सिमकार्ड घोरमारा के ही देबू मंडल (पिता स्व महेंद्र मंडल) के नाम से जारी हुआ था. उसी की खोज में पुलिस घाेरमारा पहुंची थी.
95 वर्षीय वृद्ध निकला आरोपित : घोरमारा पहुंची छत्तीसगढ़ पुलिस उस समय भौंचक रह गयी, जब उन्हें पत चला कि जिस देबू मंडल को वह ढूंढ़ रही है वह 95 वर्ष के वृद्ध हैं.
घोरमारा बाजार में जब देबु मंडल के घर पुलिस पहुंच कर परिजनों से देबू मंडल के बारे में जानकारी मांगी तो उनके पुत्रों ने देबू मंडल को कमरे से बाहर सहारा देकर लाया. देबू मंडल का उम्र 95 वर्ष है तथा वह ठीक से चल भी नहीं पाते हैं. पुलिस ने पूछा कि देबू मंडल, पिता- महेंद्र मंडल इन्हीं का नाम है तो परिजनों ने इसे सही करार दिया. पुलिस ने मौके पर ही कहा कि छत्तीसगढ़ में फोन कॉल के जरिये 10 लाख रुपये की फरजी निकासी हुई है. इस मामले में जिस नंबर से फोन आया था वह सिम कार्ड देबू मंडल के नाम से ही जारी हुआ है.
परिजनों ने पुलिस को बताया कि अगर आपको लगता है कि इन्होंने अपराध किया है तो इन्हें गिरफ्तार कर ले जा सकते हैं. परिजनों ने कहा कि एक ऐसा वृद्ध आदमी जो ठीक से देख नहीं सकता, चल-फिर नहीं सकता वह क्या साइबर अपराध करेंगे. कैसे उनके नाम से सिम कार्ड जारी हुआ यह पुलिस को पता करना चाहिए. इसमें वृद्ध का क्या दोष है. पुलिस ने बगैर कोई रिस्क लिए वृद्ध की गिरफ्तारी से इनकार कर दिया तथा परिजनों से सहमति लेकर वृद्ध देबू मंडल का एक फोटो लेकर वापस लौट गये. पुलिस अब यह जांच करने में जुटी है कि इस वृद्ध के वोटर कार्ड का इस्तेमाल कर किसने सिम कार्ड जारी किया है.