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काला-बिल्ला लगा कर डॉक्टरों ने किया विरोधसदर अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी बाधितइमरजेंसी सेवा व पोस्टमार्टम ड्यूटी ही किया डॉक्टरों नेडॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों को हुई परेशानीजिले भर के 50 से अधिक डॉक्टर रहे हड़ताल में- रविवार से सात दिनों तक आइएमए व झासा के डॉक्टर लगायेंगे काला बिल्ला फोटो सुभाष के […]

काला-बिल्ला लगा कर डॉक्टरों ने किया विरोधसदर अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी बाधितइमरजेंसी सेवा व पोस्टमार्टम ड्यूटी ही किया डॉक्टरों नेडॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों को हुई परेशानीजिले भर के 50 से अधिक डॉक्टर रहे हड़ताल में- रविवार से सात दिनों तक आइएमए व झासा के डॉक्टर लगायेंगे काला बिल्ला फोटो सुभाष के फोल्डर मेंसंवाददाता, देवघरपंचायत प्रतिनिधियों से छुट्टी की स्वीकृति लेने के सरकार के फैसले के विराध में राज्यव्यापी आंदोलन के तहत शनिवार को जिले भर के 50 से अधिक सरकारी चिकित्सक हड़ताल पर रहे. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ (झासा) के बैनर तले जिले भर के सरकारी डॉक्टरों ने कार्य का बहिष्कार किया. इस दौरान सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी बाधित रही. सिर्फ आपातकालीन सेवा व पोस्टमार्टम ड्यूटी ही डॉक्टरों ने की. इससे मरीजों को काफी कठिनाई हुई. सदर अस्पताल में एकत्रित हुए दर्जनों डॉक्टरों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ काला बिल्ला लगा कर विरोध जताया. डॉक्टरों ने अपने आंदोलन को सफल बताते हुए कहा कि सिर्फ मेडिको लीगल व इंज्यूरी की जा रही है ताकि इलाज के अभाव में किसी की जान न जाये. झासा सदस्यों ने कहा सरकार इस निर्णय के जरिये पंचायती राज के प्रतिनिधियों के हाथ में भी झुनझुना थमा रही है. निर्वाचित प्रतिनिधियों को निगरानी, अनुश्रवण का अधिकार है न कि कंट्रोलिंग ऑफिसर के दायित्व में रह सकते हैं. अगर सरकार नहीं मानी तो राज्य भर के डॉक्टर सामूहिक इस्तीफा देंगे. आगे भी डॉक्टरों का आंदोलन जारी रहेगा तथा रविवार से सात दिनों तक आइएमए व झासा के डॉक्टर काला बिल्ला लगायेंगे. इस दौरान सदर अस्पताल के डीएस डॉक्टर सोबान मुर्मू सहित डॉ आरएन प्रसाद, डॉ डी तिवारी, डॉ बीपी सिंह, डॉ डी पासवान, डॉ सुनील कुमार सहित अन्य झासा सदस्य मौजूद थे. बताते चलें कि झारखंड सरकार ने निर्णय लिया है कि अब सरकारी चिकित्सकों को मुखिया, प्रमुख व जिला परिषद अध्यक्ष से छुट्टी की स्वीकृति लेनी होगी. क्या कहते हैं झासा के सदस्य डॉक्टरराज्य भर के सरकारी डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार कर आंदोलन को सफल बनाया. अपात सेवा नहीं छोड़ा. सभी सरकारी अस्पतालों में मेडिको लीगल सेवा जारी रहा.डॉक्टर आरएन प्रसाद, राज्य प्रतिनिधि झासासरकार का निर्णय चिकित्सक विरोधी है, जिससे डॉक्टर हतोत्साहित व अपमानित महसूस कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग का पंचायती राज के अधीन किये जाने का विरोध नहीं है किंतु पंचायत प्रतिनिधियों को कंट्रोलिंग ऑफिसर बनाये जाने का विरोध है. डॉक्टरों का आंदोलन राज्य भर में सफल रहा.डॉक्टर डी तिवारी, वरिष्ठ सदस्य झासाडॉक्टरों का आंदोलन पूरी तरह सफल रहा. इमरजेंसी व मेडिको लीगल इंजूरी किये. सदर अस्पताल के डॉक्टर हड़ताल पर थे. स्वास्थ्यकर्मियों ने ड्यूटी किया. वार्ड में भरती मरीजों व अपातकालीन मरीजों को सेवा दिया गया.डॉक्टर सोबान मुर्मू, डीएस सदर अस्पताल

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