कहा है कि परिवादिनी संयोजिका है जिनकी नियुक्ति 2013 में हुई थी. प्रतिमाह इन्हें 1200 रुपये पर रखा गया था. नियमित काम लेने के बाद संयोजिका को 2014 के अप्रैल माह में कार्यमुक्त कर दिया गया था.
कुल मजदूरी की राशि में से सात हजार रुपये बकाया रखा. परिवादिनी जब बकाया पैसे मांगने गयी तो आरोपित ने गाली-गलौज आरंभ कर दी. विरोध करने पर बाल पकड़ कर जमीन पर पटक दिया और कपड़े फाड़ दिये. साथ ही जान से मारने की धमकी भी दी. इसकी शिकायत थाना में दर्ज नहीं करने पर कोर्ट की शरण ली है.