देवघर: देवघर जिले में इन दिनों जमीन अधिग्रहण व मुआवजे के चक्कर में योजनाएं फंस रही है. इस कारण कई योजनाएं समय पर पूरी नहीं होती है व बाद में इसे पूरा करने के लिए सरकार को प्राक्लन राशि बढ़ानी पड़ती है. इसका ताजा उदाहरण मधुपुर-लहरजोरी पथ है. 20 करोड़ की इस सड़क के अगले फेज की चौड़ाई के लिए जमीन अधिग्रहण किये बगैर पथ निर्माण विभाग ने टेंडर आनन-फानन में कर दिया. भू-मालिकों को मुआवजा नहीं मिलने पर काम का विरोध होता रहा. इससे करीब एक वर्ष तक काम बंद रहा. अंत में इस टेंडर को रद्द कर विभाग फिर से मधुपुर-लहरजोरी पथ का रींटेडर करवा रही है. इसमें प्राक्लन राशि बढ़ा दी गयी है. कुल मिलाकर सरकार को इस आनन-फानन के टेंडर में फिर अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा. इस बीच जर्जर सड़क से पब्लिक भी परेशानी रही.
मारगोमुंडा में सीओ-बीडीओ आवास
मारगोमुंडा प्रखंड में बीडीओ-सीओ का आवास निर्माण किया जाना है, इसका भी जमीन अधिग्रहण किये बगैर 40 लाख का टेंडर कर दिया गया. जमीन का क्लीयरेंस नहीं मिलने के कारण मारगोमुंडा में कई माह से काम बंद है. मुआवजा के खातिर लोगों ने कई बार विरोध भी किया. फिलहाल यहां भी काम बंद है.
टेंडर से पहले अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए
‘ नियमानुसार कोई भी वर्क शुरू करने से पहले जमीन की व्यवस्था होनी चाहिए. सरकारी नियमों के अनुसार योजनाएं तैयार होने के बाद स्वीकृति तक ठीक है, लेकिन टेंडर से पहले जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए. वर्तमान में आनन-फानन में राशि खर्च करने के लिए जमीन अधिग्रहण से पहले टेंडर कर दिया जाता है. इसका परिणाम होता है कि कार्यस्थल में संवेदक जब पहुंचते हैं तो मुआवजा से वंचित जमीन मालिकों का विरोध झेलना पड़ता है. मुआवजा नहीं मिलने पर जमीन मालिकों को अपनी बात रखने का अधिकार भी उचित है, चूंकि उनकी जमीन जा रही है. ऐसी परिस्थिति काम में देरी होती है व संवेदक को मौका मिल जाता है. अंत में काम रद्द भी हो जाता है व दोबारा टेंडर में प्राक्कलन की राशि बढ़ जाती है. इन दिनों यह सिस्टम राज्य में प्रभावी हो गया है, जो नियम विरुद्ध है’
– सीके सिंह, पूर्व मुख्य अभियंता, झारखंड सरकार
योजना के साथ मुआवजे की राशि स्वीकृत होती है
‘ संबंधित योजनाओं के साथ जमीन मुआवजे की राशि की भी प्रशासी स्वीकृत के लिए भेजा जाता है. दोनों की स्वीकृति एक साथ मिलने के बाद ही टेंडर किया जाता है. मुआवजा राशि भू-अर्जन विभाग को भेजा जाता है. एक तरफ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चलती है, दूसरी तरफ काम जारी रहता है’
– जयप्रकाश सिंह, कार्यपालक अभियंता, पथ निर्माण विभाग, देवघर