देवघर: जैसे ही सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड में नयी सरकार अस्तित्व में आयी है. संतालपरगना के लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ गयी है. अपेक्षा हो भी क्यों नहीं. नयी सरकार में संताल का सिक्का चला है. सीएम सहित संतालपरगना से चार मंत्री हैं. संतालपरगना की चिंता यहां रहने वाले लोग ही नहीं कर रहे हैं बल्कि यहां के निवासी जो राज्य से बाहर नौकरी कर रहे हैं, वे भी संतालपरगना के लिए चिंतित हैं.
ऐसे ही एक शख्स हैं लुधियाना(पंजाब) स्थित गुरुनानक देव इंजीनियरिंग कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर व हेड जगदानंद झा. उन्होंने संतालपरगना में तकनीकी शिक्षा की खराब स्थिति पर चिंता जतायी है. उन्होंने कहा कि संताल में साक्षरता दर महज 23 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत से भी कम है. देश के 12 पिछड़े राज्यों में संतालपरगना के जिले भी शामिल हैं. इसलिए यहां तकनीकी शिक्षा की दिशा में काम करना अत्यंत आवश्यक है.
उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन से मांग किया है कि दुमका, चाईबासा और रामगढ़ में इंजीनियरिंग कॉलेज बनकर तैयार है, घोषणा भी हुई थी कि इस सत्र से पढ़ाई शुरू हो जायेगी. लेकिन अब कहा जा रहा है कि इस सत्र में पढ़ाई नहीं हो पायेगा. इसलिए दुमका इंजीनियरिंग कॉलेज में अविलंब सत्र शुरू हो. जबकि संसद में बजट में संतालपरगना के कॉलेजों के लिए प्रावधान रखा गया था. तो अब संतालपरगना के साथ भेदभाव क्यों? श्री झा ने कहा है कि सीएम श्री सोरेन स्वयं टेक्नोक्रेट हैं. इसलिए यहां की गरीब जनता को आशा है कि नयी सरकार प्राथमिकता के तौर पर दुमका सहित तीनों इंजीनियरिंग कालेजों में सत्र 2013 से ही पढ़ाई शुरू करवाने की दिशा में ठोस कदम उठायेगी. ताकि संतालपरगना के गरीब छात्रों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जाना पड़े.