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एमटी सेंटर नहीं पहुंच पाते कुपोषित बच्चे
देवघर : सदर अस्पताल स्थित कुपोषण उपचार केंद्र (एमटीसी) में चालू वित्तीय वर्ष (2014-15) के दौरान अप्रैल से नवंबर माह तक लगभग 63 से 65 बच्चे ही इलाज के लिए दाखिल हुए. उन सभी का सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ शत्रुघA प्रसाद सिंह व केंद्र में सेवारत एएनएम की देखरेख में समुचित […]
देवघर : सदर अस्पताल स्थित कुपोषण उपचार केंद्र (एमटीसी) में चालू वित्तीय वर्ष (2014-15) के दौरान अप्रैल से नवंबर माह तक लगभग 63 से 65 बच्चे ही इलाज के लिए दाखिल हुए. उन सभी का सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ शत्रुघA प्रसाद सिंह व केंद्र में सेवारत एएनएम की देखरेख में समुचित इलाज किया गया व भोजन भी मुहैया कराया गया. इलाज के क्रम में बच्चों के देखभाल में सहयोग के लिए उनके अभिभावक को 200 रुपये तथा आवागमन के किराये के रूप में भी राशि प्रदान की गयी, मगर परिणाम बहुत सार्थक नहीं हो पाया है.
संस्थाओं ने बच्चों को वापस भेजने का लगाया था आरोप
हालांकि जिले में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाली कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने केंद्र में समुचित देखभाल नहीं होने के अलावा कुपोषित बच्चों को केंद्र में दाखिला लेने की बजाय वापस भेजने का भी आरोप लगाया था.
जसीडीह में दो बच्चों का चल रहा इलाज
जसीडीह : जसीडीह सीएचसी परिसर स्थित कुपोषण उपचार केंद्र (एमटीसी) में वर्ष 2014 में 123 कुपोषित बच्चों का नवंबर तक इलाज हिो चुका है. वहीं वर्तमान में दो बच्चे करीना कुमारी (24 माह) तथा मिथुन कुमार (एक वर्ष) इलाजरत हैं. प्रभारी डॉ महेश मिश्र ने बताया कि दिसंबर 2010 में एमटी सेंटर की शुरुआत हुई तथा तीन कुपोषित बच्चों का इलाज किया गया.
वहीं 2011 में 51 बच्चे, 2012 में 70 बच्चे, 2013 में 55 बच्चे तथा 2014 में 123 कुपोषित बच्चों का इलाज किया गया. उन्होंने कहा कि इलाज के दौरान कुपोषित बच्चे का 15 प्रतिशत वजन बढ़ने तथा सर्दी, खांसी, बुखार आदि नहीं रहने पर बच्चे को घर भेजा जाता है. बच्च के साथ रहने वाली मां को दो सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है.
क्या कहते हैं सीएस
यह सच है कि पिछले कुछ माह से कम संख्या में बच्चे केंद्र में टर्नअप हुए हैं. इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्र की पदाधिकारी व कर्मचारियों का समुचित सहयोग नहीं मिला. ऐसे में एएनएम व सहियाओं को निर्देश दिया गया है कि टीकाकरण के दिन इस तरह के बच्चों पर नजर रखें. साथ ही केंद्र तक उन्हें पहुंचाने की बात कही गई है. फिलहाल धनकटनी का भी प्रभाव है.
– डॉ दिवाकर कामत, सिविल सजर्न.
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