देवघर: देवघर व आसपास के इलाके में लगभग एक दर्जन से अधिक पर्यटक स्थल हैं. जहां सालों भर पर्यटक व सैलानियों का तांता लगा रहता है. इसी दौरान ठंड के सीजन में भारी संख्या में बंगाली सैलानी देवघर पहुंचते हैं.
बंगाली पर्यटक शहरी क्षेत्र में भ्रमण के लिए तांगे का प्रयोग अवश्य करते हैं. वैसे भी बंगाली समाज का इस शहर से पुराना संबंध रहा है. मगर हाल के दिनों में शहर मे ऑटो व इ-रिक्शा की संख्या बढ़ने से तांगे का क्रेज घटा है. इससे तांगा चालकों की कमाई पर असर पड़ा है. कम आमदनी के कारण जहां उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है.
वहीं घोड़ों को समुचित चारा न उपलब्ध न करा पाने के कारण उनके घोड़े भी कमजोर हो रहे हैं. धंधा मंदा चलने के कारण कई तांगा चालकों ने अपने घोड़ो को छोड़ दिया व खुद दूसरे धंधे में जुट गये. यह आलम साल के पहले दिन भी बरकरार रहा. तांगा चालक साहिद मल्लिक ने कहा कि दो-तीन ट्रिप यात्रियों को ढो पाते हैं. समुचित कमाई न होने व घोड़े का चारा तक के पैसे नहीं जुट पाता है.