देवघर: 2011 में राज्य की जनता को बीपीएल व एपीएल का नया राशन कार्ड मुहैया कराने के लिए जमकर तमाशा हुआ. गांव-चौपाल व मुहल्लों में कैंप लगाकर आवेदन लिये गये. तामझाम के साथ प्रचार-प्रसार हुआ. लेकिन तीन वर्षो बाद भी राशन कार्ड का वितरण आखिर नहीं हो पाया. संताल परगना के पांच जिलों देवघर, दुमका, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़ व साहिबगंज में कुछ अपवाद को छोड़ दिया जाये तो अधिकांश जिलों में राशन कार्ड का वितरण नहीं हो पाया.
इन तीन वर्षो के दौरान कभी स्वतंत्रता दिवस, कभी गणतंत्र दिवस तो कभी झारखंड स्थापना दिवस में राशन कार्ड वितरण करने की तिथि की घोषणाएं समय-समय पर होती रही. लेकिन सारे डेट फेल होते गये बावजूद राशन कार्ड नहीं बांटा जा सका. गरीबों की सुविधा पर आखिरकार ग्रहण ही लग गया. अकेले केवल देवघर जिले में 92 हजार बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले) को आपूर्ति विभाग ने चिन्हित किया है. इसमें एक भी बीपीएल धारियों को राशन कार्ड नहीं दिया गया है. जबकि विभाग बार-बार दावा करती रही कि कार्ड बनकर तैयार है, केवल सत्यापन कर वितरण होगा. लेकिन यह सत्यापन के पेच में फंस गया और वितरण नहीं हो पाया.
कई बार जांच के पेच में फंसा : बीपीएल का नया राशन कार्ड तैयार करने की प्रक्रिया में भी बीच-बीच में सलाव उठते रहे. जिला परिषद की बैठक में कई बार जांच का सवाल उठता रहा है. जांच के पेंच में कार्ड का वितरण फंसता गया. पंचायतों से सत्यापन के बाद नये बीपीएलधारियों को ऑन लाइन तो कर दिया गया लेकिन नया राशन कार्ड का वितरण नहीं किया जा सका. सरकार के स्तर से कार्ड का प्रकाशन भी हो चुका था. लेकिन वितरण अटक गया.
एपीएल भी नहीं हो पाया तैयार: 2011 में कैंप लगाकर बीपीएल के साथ-साथ एपीएल(गरीबी रेखा से उपर गुजर-बसर करने वाले) का आवेदन शहर व ग्रामीण क्षेत्र में जमा लिया गया था. विभाग ने पहले बीपीएल राशन कार्ड वितरण करने की योजना बनायी थी. इसलिए पहले बीपीएल कार्ड की तैयारी में जुट गये. इस कारण लाखों की संख्या में एपीएल का राशन कार्ड अधूरा रह गया.
हालांकि कुछ हद तक एपीएल राशन कार्ड तैयार तो कर लिया गया लेकिन यह भी वितरण नहीं हो पाया. कुल मिलकर तीन वर्षो तक लोगों को प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध करना पूरी तरह विफल साबित हुआ.