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नहीं दिखा स्थल पर काजू का पौधा

देवघर : राष्ट्रीय बागवानी मिशन में हुई गड़बड़ी की उच्च स्तरीय जांच शुरू हो गयी है. स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता व कृषि मंत्री बन्ना गुप्ता के निर्देश पर रांची से कृषि निदेशक केडीपी साहु व कृषि सचिव के ओएसडी शशि रंजन देवघर पहुंचे.जांच टीम ने पहले दिन काजू की खेती की जांच की. इस दौरान […]

देवघर : राष्ट्रीय बागवानी मिशन में हुई गड़बड़ी की उच्च स्तरीय जांच शुरू हो गयी है. स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता व कृषि मंत्री बन्ना गुप्ता के निर्देश पर रांची से कृषि निदेशक केडीपी साहु व कृषि सचिव के ओएसडी शशि रंजन देवघर पहुंचे.जांच टीम ने पहले दिन काजू की खेती की जांच की.

इस दौरान देवघर प्रखंड के मालेडीह, कोकहराजोरी व पथरा गांव में टीम ने जांच में एक भी काजू का पौधा नहीं पाया. जांच के क्रम में मालेडीह गांव में लाभुक व रचना संस्था के डायरेक्टर संजय उपाध्याय का बयान दर्ज कर वीडियोग्राफी करायी गयी. मालेडीह में जिस स्थल पर पौधा लगाये जाने का दावा संस्था द्वारा किया जा रहा था, वहां वर्मी कंपोस्ट की जांच के लिए कुदाल से खुदाई की गयी. लेकिन खुदाई में टीम को कोई अवशेष नहीं मिला.

कोकहराजोरी में भी लगभग नौ एकड़ जमीन पर एक भी पौधा नहीं पाया गया. इसके बाद टीम पथरा गांव पहुंची. वहां जांच पाया गया कि जिन लाभुकों का नाम अभिलेख में दर्ज है, वह जमीन सरकारी है.

सीओ शैलेश कुमार ने कृषि निदेशक के समक्ष ही उक्त सरकारी जमीन के दाग नंबर 479 की पुष्टि की. जांच में यहां भी एक भी पौधा नहीं पाया गया. पथरा गांव में ही दूसरे स्थान में गोचर जमीन पर भी लाभुकों के नाम से पौधा लगाने का उल्लेख अभिलेख में पाया गया, लेकिन टीम ने स्थल पर कोई पौधा नहीं पाया. जांच टीम के समक्ष यह खुलासा हुआ कि बगैर ग्राम सभा किये योजना का चयन किया गया. तीनों गांव में मिट्टी की जांच भी नहीं हुई.

अगर पौधा लगाया तो कहां है जलस्नेत

जांच के क्रम में रचना संस्था के डायरेक्टर बार-बार तीनों गांव में पूर्व में पौधा लगाने का दावा कर रहे थे. इसी क्रम में कृषि निदेशक ने पूछा कि अगर पौधा लगाया तो क्या पहले जल स्नेत की व्यवस्था की गयी थी.

सिंचाई की व्यवस्था कहां है, दिखायें. लेकिन मालेडीह, कोकहराजोरी व पथरा गांव में सिंचाई की सुविधा ही नहीं मिली. इस पर संस्था के डायरेक्टर कोई जवाब नहीं दे पाये. कृषि निदेशक ने कहा कि तीनों गांव में एक भी पौधा नजर नहीं आ रहा है और इसके एवज में छह लाख रुपये का कैसे भुगतान हो गया.

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