राजीव रंजन, देवघर : पुराना सदर अस्पताल परिसर में चल रहा देवघर का ब्लड बैंक पिछले पांच साल से बिना लाइसेंस के ही चल रहा है. इस ब्लड बैंक पर न केवल देवघर के मरीजों की बल्कि, आसपास के जिलों के मरीज भी निर्भर हैं. इसके बावजूद विभाग की अनदेखी व प्रशासनिक उदासीनता की वजह से बिना लाइसेंस के ही मरीजों को ब्लड मुहैया कराया जा रहा है. श्रावणी मेला समाप्ति के साथ ही देवघर ब्लड बैंक में रक्त की कमी हो गयी है.
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देवघर ब्लड बैंक से रोजाना 30-35 मरीजों को चाहिए खून, पर 10-15 यूनिट ही उपलब्ध
राजीव रंजन, देवघर : पुराना सदर अस्पताल परिसर में चल रहा देवघर का ब्लड बैंक पिछले पांच साल से बिना लाइसेंस के ही चल रहा है. इस ब्लड बैंक पर न केवल देवघर के मरीजों की बल्कि, आसपास के जिलों के मरीज भी निर्भर हैं. इसके बावजूद विभाग की अनदेखी व प्रशासनिक उदासीनता की वजह […]
पिछले एक सप्ताह से ब्लड बैंक में महज 15-16 यूनिट ही रक्त उपलब्ध हो रहे हैं, जबकि रोजाना औसतन लगभग 30-35 मरीजों को यहां से रक्त की जरूरत पड़ती है. ब्लड बैंक में पर्याप्त रक्त नहीं मिलने पर मरीजों को रक्तदान करने वाले संस्थाओं के भरोसे रहना पड़ता है. पूरे श्रावणी मेला के दौरान लाखों कांवरिये देवघर पहुंचे.
आपात स्थिति में इनके साथ ही देवघर के मरीजों के लिए ब्लड डोनेशन कैंप लगाने की जिम्मेदारी स्वयंसेवी संस्थाओं को दी गयी थी. इसके बाद भी किसी भी संस्था ने कैंप लगाने में रुचि नहीं दिखायी. यहां तक कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी कैंप लगाने में पहल नहीं की गयी. ऐसे में लोगों को जिस ग्रुप के रक्त चाहिए उसी ग्रुप के डोनर को ले जाना पड़ रहा है. जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है.
ब्ल्ड बैंक में कर्मियों की कमी: ब्लड बैंक में कर्मचारियों की कमी से काफी परेशानी हो रही है. ब्लड बैंक में टेक्निशियन का अभाव होने के कारण लोगों को समय पर ब्लड उपलब्ध नहीं हो पाता है. जबकि ब्लड बैंक में मरीजों के परिजनों का खून लेने के लिए तांता लगा हुआ रहता है. जबकि विभाग के अधिकारी से ब्लड बैंक में कर्मियों की कमी के बारे में पूछे जाने पर कहा जाता है कि पर्याप्त मात्रा में कर्मी है.
विभाग के अधिकारियों ने की जांच मानक पूरा नहीं होने का दिया हवाला
पुराना सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक, जिले का एकमात्र ब्लड बैंक है. इसका लाइसेंस 2014 में ही समाप्त हो चुका है. इसके बाद से लाइसेंस नहीं मिल सका है. विभाग की ओर से कई बार लाइसेंस रेन्युअल के लिए झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी,रांची को पत्र भेज कर मांग की गयी है.
विभाग के अधिकारी ब्लड बैंक का निरीक्षण भी कर चुके हैं. इसके बावजूद मानक पूरा नहीं करने का हवाला देकर लाइसेंस रेन्युअल नहीं किया गया. इधर, ब्लड बैंक प्रभारी डॉ मनोज गुप्ता ने बताया कि लाइसेंस रेन्युअल हो चुका है, लेकिन विभाग को से लेटर अबतक नहीं मिला है.
निदेशक के लेटर के बाद संस्थाओं का कैंप लगाना बंद
जिला में दर्जनों स्वयंसेवी संस्था ब्लड डोनेशन कैंप लगा रहे थे. लेकिन जब से झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के परियोजना निदेशक मृत्युंजय कुमार वर्णवाल ने वालंटियर रक्तदाता को डोनर कार्ड नहीं देने का लेटर जारी किया है.
तब से संस्था की ओर से कैंप लगाना बंद कर दिया गया. संस्था के लोगों द्वारा कहा जाता है कि यदि शिविर लगायेंगे और डोनर कार्ड नहीं मिलेगा तो अपनों के रक्त की जरूरत कैसे पूरा करेंगे.
नये सदर अस्पताल में ब्लड बैंक का भवन तैयार अधिकारी अबतक नहीं करा सके शिफ्ट
नये सदर अस्पताल परिसर में ब्लड बैंक का नया भवन वर्षों पहले बनकर तैयार है इसके बाद भी अबतक इसे शिफ्ट नहीं किया गया है. पुराने सदर अस्पताल परिसर में चल रहा ब्लड बैंक असुरक्षित है. शाम होते परिसर अंधेरे में डूब जाता है. यहां लाइट की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में ब्लड बैंक में कार्य करने वाले कर्मियों को काफी परेशानी होती है.
इसके अलावा रक्त की जांच करने में लैब टेक्नीशियन को परेशानी हो रही है. वहीं ब्लड बैंक आने- जाने वाले लोगों को भी परेशानी हो रही है. परिसर में शाम होते ही अंधेरे का फायदा उठाते हुए असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा शुरू हो जाता है और शराब का दौर शुरू हो जाता है. इस दौरान नशे में हंगामा भी करते हैं.
ब्लड बैंक में रक्त की जरूरत
माह सप्लाई थेलिसिमियां के मरीज जननी शिशु सुरक्षा
जनवरी 568 48 09
फरवरी 550 44 08
मार्च 522 45 02
अप्रैल 610 64 09
मई 708 70 09
जून 667 58 36
जुलाई 660 61 37
अगस्त 450 28 19
कहते हैं सिविल सर्जन
ब्लड बैंक का लाइसेंस की प्रकिया चल रहा है, जल्द ही लाइसेंस मिल जायेगा. इसके अलावा खून की कमी को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. ब्लड डोनेशन कराया जाये, तभी जिले में ब्लड की कमी पूरा हो सकती है.
डॉ विजय कुमार, सिविल सर्जन,
इन मरीजों को नि:शुल्क ब्लड देने का प्रावधान
ब्लड बैंक में खून की कमी होने के बाद भी ब्लड बैंक से थैलेसीमिया, हेमोफिलिया, सिक्लसेनिया, एआरटी पॉजिटिव समेत अन्य को ब्लड नि:शुल्क में देने का प्रावधान है. जिससे ब्लड बैंक में लगातार ब्लड की कमी हो रही है.
ब्लड बैंक केे अनुसार देवघर जिला समेत संताल परगना समेत बिहार के भी कई जिले के करीब 80 थैलेसीमिया मरीज है जिसे खून नि:शुल्क दिया जाता है. इसके अलावा शिशु जननी सुरक्षा के तहत भी महिलाओं को खून नि:शुल्क दिया जाता है.
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