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जान जोखिम में डाल काम कर रहे निगम के बिजली मिस्त्री

दिनकर ज्योति, देवघर : बिजली हमारी बड़ी जरूरतों में से एक है. लेकिन, बिजली की समस्या को दूर करने में लगे उन मिस्त्री के हालात पर शायद ही किसी की नजर गयी हो जो हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए जान जोखिम में डालकर काम करते हैं. अगर नहीं, तो जरा उनपर भी नजर […]

दिनकर ज्योति, देवघर : बिजली हमारी बड़ी जरूरतों में से एक है. लेकिन, बिजली की समस्या को दूर करने में लगे उन मिस्त्री के हालात पर शायद ही किसी की नजर गयी हो जो हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए जान जोखिम में डालकर काम करते हैं. अगर नहीं, तो जरा उनपर भी नजर डालकर संवेदनशील होने की जरूरत है जो हमारे घरों को रोशन करने में अपनी जिंदगी को अंधेरे में डाल दियादेवघर में काम करने वाले बिजली मिस्त्री को सुरक्षा के उपकरण मुहैया नहीं कराये गये हैं.

जिस कारण हर पल जिंदगी व मौत के बीच खतरे से जूझते मिस्त्री कभी चलती लाइन में तो कभी पोल पर चढ़कर बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने में लग जाते हैं. पिछले छह महीने में ही नगर निगम के अंतर्गत काम करने वाले करीब छह मिस्त्री करंट की चपेट में आ चुके हैं. जिससे पता चलता है कि नगर निगम हो या बिजली विभाग उनके लिए बिजली मिस्त्री की जान की परवाह नहीं है.
छह माह में पांच मिस्त्री को लग चुका है करंट,अब तक पांच हो चुके हैं घायल
घायल मिस्त्री का नाम स्थान
पिंटू रमानी वार्ड जसीडीह
विजय मिश्रा कल्याणपुर सतसंग
दारो दास एसडीपीओ आवास के पास
विजय फलाहारी बमबम बाबा पथ
रंजय पोद्दार जनकपुर बिलास
विजय मिश्रा आठ दिन रहे थे आइसीयू में
विजय मिश्रा नामक बिजली मिस्त्री कल्याणपुर में काम के दौरान करंट लगने से पोल से ही गिर गया था. वह गंभीर रूप से घायल हो गया था. उसे निगम के निकट के एक क्लिनिक में आठ दिनों तक आइसीयू में रहना पड़ा था. वह अब तक काम पर नहीं लौटा है.
काम के दौरान नहीं दिये जाते सुरक्षा उपकरण
नगर निगम हो या बिजली विभाग दोनों ही जगह बिजली मिस्त्रियों से काम तो कराया जाता है पर उनकी सुरक्षा का ख्याल नहीं रखा जाता है. नियमत: बिजली का काम करने के दौरान उन्हें ग्लब्स, हेलमेट, जूते व बेल्ट आदि सुरक्षा उपकरण मुहैया कराना है, इसके बाद भी उनकी सुरक्षा भगवान भरोसे ही रहती है. निगम बोर्ड की बैठक में उपकरण मुहैया कराने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया है. लेकिन, सामान उपलब्ध नहीं कराया गया.
जान का जोखिम ज्यादा, पर मानदेय कम
बिजली मिस्त्रियों को 285 सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय मिलता है. उन्हें 26 दिन की सैलेरी मिलती है. ऐसे में मात्र 7410 हजार रुपये प्रतिमाह मिलती है. इतने कम पैसे में भी जान जोखिम में डालकर ये काम रहे हैं.
करंट से घायल हो चुके हैं आधा दर्जन मिस्त्री
केवल इसी साल की बात करें तो जनवरी से अबतक नगर निगम के पांच मिस्त्री करंट से घायल हाे चुके हैं. करंट से घायल एक मिस्त्री को तो आठ दिनों तक आइसीयू में रहना पड़ा. अपनी जान जोखिम में डालने वाले उस मिस्त्री को नगर निगम ने यही इनाम दिया कि करंट से घायल होने के बाद इलाज के दिनों को छुट्टी बताकर पैसे काट लिये.
ये तो महज एक बिजली मिस्त्री का दर्द है. विभागीय संवेदनहीनता के मारे हुए ऐसे कई बिजली मिस्त्री हैं, जिन्हें लाचारी की अवस्था में उनके हाल पर छोड़ दिया गया. जिस कारण वे शरीर का कष्ट तो झेल ही रहे हैं, काम नहीं कर पाने की वजह से घर चलाने पर भी संकट हो गया है.

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