देवघर : मोहनपुर अंचल के चांदन नदी के उस पार प्रस्तावित अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए सिरसिया मौजा के जमीन मालिक 51 एकड़ निजी जमीन देने को तैयार हुए. बुधवार को सिरसिया मौजा के रैयत दुर्गा सिंह, भैरो ठाकुर व अमीन ठाकुर की अगुवाई में हुई रैयतों की बैठक उनके पैतृक जमीन पर हुई. इस बैठक में पुरुष के साथ महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हुई. बैठक के बाद ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए सरकार को अपनी जमीन देने की घोषणा की.
रैयत दुर्गा सिंह ने कहा कि वे लोग रढ़िया गांव के रहने वाले हैं, लेकिन उनकी पैतृक जमीन सिरसिया मौजा में है. सिरसिया मौजा बेचिरागी गांव है. रढ़िया वासियों का कुल 51 एकड़ रैयती जमीन सिरसिया मौजा में है, यह जमीन उपजाऊ भी है. लेकिन संसाधन के अभाव में सालों भर खेती नहीं कर पाते हैं.
जिससे जमीन रहने के बाद भी युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं. अगर उनकी जमीन पर सरकार पावर प्रोजेक्ट जैसी बड़ी योजना लगाती है तो युवाओं को रोजगार व जमीन का मुआवजा मिलने से अपना भविष्य संवार सकते हैं. बैठक में विद्यानंद ठाकुर, रामचंद्र मांझी, घनश्याम मांझी, तिलेश्वर मांझी, सिटु मंडल, बबलू मंडल, परमेश्वर मांझी, शांति देवी, पार्वती देवी, पिंकी देवी, रेखा देवी, सावित्री देवी, सनतन मांझी, संगीता देवी, प्रतिमा देवी, जवाहर यादव आदि थे.
निरीक्षण करने दिल्ली से आयेगी की टीम
देवघर. मोहनपुर प्रखंड के 14 गांवों में चिह्नित अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट की जमीन का जायजा लेने गुरुवार को दिल्ली से टीम आयेगी. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अधीन पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन के डायरेक्टर योगेश जुनेजा के नेतृत्व में टीम देवघर आयेगी.
यह टीम जमीन का निरीक्षण कर जिला प्रशासन से चयनित जमीन का नक्शा व दस्तावेजों को कलेक्ट करेगी. डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने बताया कि दोपहर 12 बजे समाहरणालय में पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन के डायरेक्टर के साथ बैठक होगी. इस बैठक के बाद ही टीम जमीन का निरीक्षण करने के लिए रवाना होगी.
1980 एकड़ सरकारी व वन भूमि चिह्नित
अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए कुल 1980 एकड़ जमीन चिह्नित की गयी है. कुल 14 मौजा में चिह्नित 1980 एकड़ जमीन में सरकारी व वन विभाग की जमीन है. इस 1980 एकड़ जमीन के दायरे में एक भी व्यक्ति का घर नहीं है.
निजी जमीन भी इसके दायरे में नहीं है. अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए करीब दो हजार एकड़ जमीन की जरूरत बतायी गयी है. इसमें 1980 एकड़ जमीन मिल जाने के बाद शेष रैयती जमीन की जरूरत पड़ सकती है.
अपनी जिंदगी गरीबी में कटी, अब बच्चों का भविष्य सोचेंगे
अमीन ठाकुर ने कहा कि उन लोगों की जिंदगी गरीबी व बेरोजगारी में कट गयी. अब अपने बच्चों का भविष्य बर्बाद नहीं कर सकते हैं. यह अवसर हमलोग नहीं गंवायेंगे. पावर प्रोजेक्ट स्थापित होने से इस इलाके में विकास होगा व उनके बच्चों का भविष्य बन जायेगा.
विरोध करने वालों को नसीहत
पावर प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले अधिकांश लोग सरकारी जमीन पर खेती करते हैं. अगर प्रोजेक्ट में यह जमीन चली जायेगी तो उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा, इसलिए विरोध कर रहे हैं. इन लोगों को भी राजनीति से ऊपर उठकर अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए.