देवघर : स्वच्छ भारत मिशन के तहत पेयजल एवं स्वच्छता विभाग गांवों में इन दिनों स्वच्छ सर्वेक्षण करवा रहा है. गांव में विभाग की ओर से एक पम्पलेट लोगों को दिया जा रहा है, इसमें स्वच्छता पर कई ऐसे सवाल व जवाब दर्ज है, जिसकी सुविधा गांव में नहीं है. विभाग ने सवाल के साथ जवाब में केवल एक ही विकल्प हां दिया है.
एक सवाल में कहा गया है कि स्वच्छ भारत मिशन के कार्यान्वयन के बाद आपके गांव की सामान्य सफाई में कितना सुधार हुआ है, इसके जवाब में विकल्प दिया गया है कि..हां पर्याप्त सुधार हुआ है, कोई शिकायत नहीं है. दरअसल गांव में सफाई की व्यवस्था ही नहीं है, गांव कोई सफाईकर्मी ही नियुक्त नहीं है. आखिर कचरा जमा कर इसे कहां फेंका जायेगा व कौन सामुहिक रुप से कचरा उठायेगा, सरकार ने कोई ऐसी व्यवस्था शहर के तर्ज पर नहीं किया है.
कचरा निपटारे के लिए कोई सुविधा ही नहीं है
पम्पलेट में गांव वाले से पूछा गया है कि क्या सूखे ठोस कचरे के सुरक्षित निपटारे के लिए गांव स्तर पर कोई व्यवस्था है. फिर इसी पम्पलेट में जवाब लिखा गया है कि हां गांव के सभी सूखे ठोस कचरे के निपटारे के लिए पर्याप्त व्यवस्था है. दरअसल गांव में कचरा निपटारे के लिए सरकार ने कोई ऐसा संयत्र या प्लांट ही नहीं स्थापित किया है, जिससे कचरा निपटाया जा सके. गांवों में कचरा बिखरा पड़ता रहता है, या किसान इसे खाद के रुप में खेतों डाल देते हैं.
तरल अपशिष्ट के निस्तारण की भी व्यवस्था नहीं
पम्पलेट में अंतिम सवाल पूछा गया है कि क्या तरल अपशिष्ट गंदे जमे हुए पानी के लिए कोई व्यवस्था है. इसमें सीधे तौर पर जवाब में लिखा गया है कि हां गंदे जमे हुए पानी के निकास का पर्याप्त प्रबंधन है. पीएचइडी ने जवाब में हां पर सही का निशान लोगों से मांगा है. अब सवाल उठता है कि आखिर किस गांव में तरल अपशिष्ट के लिए विभाग से व्यवस्था की गयी है. विभाग आखिर बगैर सुविधा मुहैया कराये क्यों लोगों को मूर्ख बनाने में लगी है. क्या झूठे सर्वे से पुरस्कार लेकर गांव
साफ हो जायेगा.