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बांस की सामग्री बना कर जीवन यापन करते हैं बिरहोर

झारखंड में आदिम जनजाति समुदाय के विलुप्त होती जा रही बिरहोर जाति एक धरोहर के रूप में जाने जाते हैं.

कुंदा. झारखंड में आदिम जनजाति समुदाय के विलुप्त होती जा रही बिरहोर जाति एक धरोहर के रूप में जाने जाते हैं. यह एक मेहनतकश जाति है, जो छोटे-छोटे समूहों मेें जंगल व पहाड़ के किनारे जंगल मे बस कर घूम-फिर कर जड़ी-बूटी आदि वन्य पदार्थों का संग्रह कर व शिकारी कर अपना जीवनयापन करते हैं. हालांकि समय के साथ इनके रहन-सहन व दिनचर्या में तनिक बदलाव भी आया है. यह अब जंगलों से बांस काटकर टोकरी व सूप बनाकर उसे बाजार में बेच कर भी अपना जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में इन गरीब व विलुप्त प्रजाति के उत्थान व विकास को लेकर सरकार व जिला प्रशासन दर्जनों जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रही है. उपायुक्त से लेकर निचले स्तर के सरकारी कर्मी व जनप्रतिनिधि लगातार इन इलाकों का भ्रमण कर लोगों से सरकार की योजनाओं से जोड़ने में जुटे हैं. पूर्व उपायुक्त अबू इमरान ने गांव का एक दिवसीय भ्रमण कर यहां निवास करने वाले 10 जरूरतमंद बिरहोर परिवारों को बिरसा आवास योजना की स्वीकृति प्रदान की थी. जिसमें पंकज व उसके भाई विद्या उर्फ विधायक बिरहोर को भी बिरसा आवास मुहैया करायी थी. दोनों भाईयों ने मिलकर अच्छा पक्का घर बनाने में जुटे थे. घर का कार्य लिंटर तक कर लिया गया है. इसके अलावा पंकज के देखरेख में ही गांव में अन्य लोगों का आवास का निर्माण कार्य कराया जा रहा था.

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