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जर्जर आवास में रहने को विवश हैं सोहरलाठ के बिरहोर

कुंदा : सिकीदाग पंचायत अंतर्गत सोहरलाठ गांव के आदिम जनजाति के लोगों को बरसात में सिर छुपाने की चिंता सताने लगी है. ज्ञात हो कि 10 वर्ष पूर्व उक्त लोगों को कल्याण विभाग की ओर से आवास उपलब्ध कराया गया था, लेकिन संवेदक ने सिर्फ दीवार बना कर छोड़ दिया. तब से बिरहोर किसी तरह […]

कुंदा : सिकीदाग पंचायत अंतर्गत सोहरलाठ गांव के आदिम जनजाति के लोगों को बरसात में सिर छुपाने की चिंता सताने लगी है. ज्ञात हो कि 10 वर्ष पूर्व उक्त लोगों को कल्याण विभाग की ओर से आवास उपलब्ध कराया गया था, लेकिन संवेदक ने सिर्फ दीवार बना कर छोड़ दिया. तब से बिरहोर किसी तरह उस पर छप्पर डाल कर उसमें रह रहे हैं.

बरसात में बिरहोरों के समक्ष समस्या उत्पन्न हो गयी है. गांव में 35-40 बिरहोर परिवार रहते हैं. ये लोग जंगल से जड़ी-बूटी, पत्ता व बांस लाकर उससे सामग्री बना कर बाजार में बेचते हैं. उससे जो पैसे मिलते हैं, उसे इनका घर चलता है. नरेश बिरहोर ने बताया कि गरमी में धूप से व बरसात में पानी से बचने के लिए कोई जगह नहीं है़ जैसे-तैसे रहने को मजबूर हैं़ सबसे अधिक परेशानी बच्चों को होती है.

सरहुली बिरहोर ने कहा कि आवास जर्जर हो गया है़ चोरों ओर जंगल झाड़ी है़ इस कारण हमेशा जंगली जानवर व सांप-बिच्छू का डर बना रहता है. फु टका बिरहोरिन व पनवा बिरहोरिन ने बताया कि सरकार हमलोगों पर ध्यान नहीं दे रही है़ उन्होंने सरकार से इंदिरा आवास व रोजगार उपलब्ध कराने की मांग की है़ इसके अलावा हरदिया टांड़, आसेदिरी, भौरुडीह व धरती मांडर के बिरहोर भी जर्जर आवास में रहने को विवश है़ं

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