बालूमाथ: झारखंड सरकार जहां एक तरफ सुरक्षित प्रसव कराने व शिशु मृत्यु पर नियंत्रण करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं बालूमाथ स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से एक गर्भवती महिला को ममता वाहन नहीं मिलने से मजबूरन सवारी गाड़ी में बच्चे को जन्म दिया. इसके बाद समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने से बच्चे की मौत हो गयी.
महिला बालूमाथ थाना के गणेशपुर पंचायत के चमातू गांव के श्यामदेव प्रजापति की पत्नी बाजो देवी है. परिजनों ने बताया कि बाजो देवी का प्रसव पीड़ा बुधवार की अहले सुबह शुरू हुई. इसकी सूचना स्थानीय सहिया सरधा देवी को दी गयी. इसके बाद सहिया ने इसकी सूचना ममता वाहन संचालक को देकर वाहन व्यवस्था कराने को कहा. लेकिन संचालक द्वारा वाहन नहीं दिया गया. इसके बाद मजबूरन सिंह वाहिनी बस से बाजो देवी को उप स्वास्थ्य केंद्र सेरेगाड़ा लाया गया, जहां एएनएम द्वारा यह कह कर उसे बालूमाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर कर दिया कि महिला का बीपी लो है. परिजन व सहिया द्वारा एएनएम को वाहन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया, लेकिन एएनएम ने इस पर कोई रुचि नहीं दिखायी.
सेेरेगडा से बालूमाथ सवारी लेकर आ रहे सवारी वाहन में एएनएम ने बैठा दिया. इस बीच तसतबार के करीब पहुंचते महिला ने वाहन में ही बच्चे को जन्म दिया. वाहन चालक महिला को लेकर बालूमाथ अस्पताल पहुंचा, जहां कोई चिकित्सक नहीं होने से उसकी सूचना बालूमाथ बीडीओ को लोगों ने दी. बालूमाथ बीडीओ परवेज आलम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच कर अस्पताल के ऊपर अखबार पढ़ रहे डॉ पुरुषोत्तम कुमार को फटकार लगायी, तब जाकर डॉ पुरुषोत्तम ने महिला व बच्चे की जांच की. जांच बाद चिकित्सक ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया. घटना के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है.
इस संबंध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अमरनाथ प्रसाद ने कहा कि ग्रामीण जागरूक होते, तो ऐसी घटना नहीं घटती. सहिया पर कार्रवाई की जायेगी. बालूमाथ बीडीओ परवेज आलम ने कहा कि बालूमाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लचर व्यवस्था की बराबर शिकायत मिल रही है. इस पूरे मामले की जांच करा कर दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी. बालूमाथ स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत 19 ममता वाहन सूचीबद्ध है. ग्रामीणों ने बताया कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बराबर गायब रहते है व चंदवा में रहकर निजी प्रैक्टिस करते है. सभी स्वास्थ्यकर्मी अपने कार्य के प्रति लापरवाह है. स्वास्थ्य विभाग को सुधार लाने हेतु सभी जनप्रतिनिधि को तमाशाबीन बने हुए. जनता से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है.