बोकारो: ओलचिकी लिपि के जनक पंडित रघुनाथ मुमरू की जयंती के मौके पर रविवार की रात बांसगोड़ा पूर्वी पंचायत के बहागढ़ में संथाली ड्रामा प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत पंडित जी की तसवीर पर माल्यार्पण कर किया गया. मौके पर आसस के सचिव योगो पूर्ति ने कहा कि भाषा और संस्कृति को बचाने की जरूरत है.
इसी से झारखंड की पहचान बच पायेगी. जिस तरह क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई राज्य के अलग-अलग हिस्सों में होनी चाहिए थी, उस दिशा में कोई पहल नहीं हो सकी. संताली, हो, मुंडारी, खोरठा सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए कार्य करने की जरूरत है. गांव के कलाकारों द्वारा नाटकों का मंचन कर सामाजिक जागरूकता का कार्य किया जाता था. आज वह मिट रहा है. इसे बचाने की जरूरत है.
मौके पर मुखिया सुधा मुमरू, उप मुखिया राजेश रवानी, शांति सोरेन, गाने मुमरू ने भी संबोधित किया. कई क्लबों के कलाकारों ने ड्रामा प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. सफल ड्रामा टीम को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया. मौके पर भीम चंद्र सोरेन, रसियन हांसदा, चंद्रमोहन हेंब्रम, शंकर मुमरू, फागु हेंब्रम, गाने मुमरू, आंता मुमरू, तुरमल मरांडी, चंद मुमरू, भादा मुमरू, बासुदेव हेंब्रम आदि मौजूद थे.