19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नया साल से क्या फर्क पड़ता है साहब !

जीवन में जश्न कहीं मिलता नहीं नये साल के कैलेंडर में बोकारो : रविवार का सूर्य जब उगा तो अपने साथ नया कैलेंडर लेकर आया. मतलब 2016 एक कदम आगे बढ़कर 2017 में प्रवेश कर चुका था. चढ़ते सूर्य के साथ जश्न का माहौल भी गर्म हो रहा था. खुशियां का आगमन हो रहा था. […]

जीवन में जश्न कहीं मिलता नहीं नये साल के कैलेंडर में

बोकारो : रविवार का सूर्य जब उगा तो अपने साथ नया कैलेंडर लेकर आया. मतलब 2016 एक कदम आगे बढ़कर 2017 में प्रवेश कर चुका था. चढ़ते सूर्य के साथ जश्न का माहौल भी गर्म हो रहा था. खुशियां का आगमन हो रहा था. लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके लिए सूर्य की रोशनी जिंदगी के कोने को रोशन करने में असमर्थ था, ताजी हवा मन को तरोताजा नहीं कर पायी. उनके लिए सिर्फ कैलेंडर बदला, किस्मत की सुई पहले की तरह ही स्थायी रही. इनके लिए जश्न की तलाश में कई नये साल आये चले गये, लेकिन जश्न का मौका इन्हें नहीं मिला. प्रभात खबर ने रविवार को ऐसे ही लोगों के जश्न में शामिल होने की कोशिश की.
…ताकि जिंदगी का पहिया सरपट दौड़े
नया मोड़ स्थित ब्लू डायमंड होटल मोड़ के पास राजू ट्रक का पिछला टायर लगाने की कोशिश कर रहा था. टायर का वजन ज्यादा होने के बाद भी वह बड़ी सिद्दत के साथ काम में लगा हुआ था. जानता था कि जितना जल्दी टायर फिट होगी, उतनी ही जल्दी गाड़ी उड़ान भरेगी. ट्रिप पूरा होते ही कुछ पैसा जेब की शोभा बढ़ायेगी. नया साल का बहाना बना कर काम टालने से कुछ फायदा नहीं होने वाला. राजू ने कहा : जश्न सिर्फ पैसा वालों के लिए होता है, पैसा की तलाश करने वालों के लिए नहीं.
जश्न में शामिल होकर जश्न की खोज
स्थान : दुंदीबाद बाजार. गन्ना पेरने वाली मशीन पर दोनों हाथ रख कर ग्राहकों का इंतजार करता 18 वर्ष का रामेश्वर. आंखों से नये साल का जश्न देख रहा है, लेकिन दिमाग में जीवकोपार्जन की सोच घर बनाये हुए है. साल की पहली तारीख को दुकान खोला. सोच थी अगर इस दिन बिक्री ज्यादा हुई, तो सालों भर किस्मत जगमगायेगी. लेकिन, दोपहर दो बजे तक ऐसा होता नहीं दिखा. नये साल के जश्न के आगे लोगों को रामेश्वर की सोच नहीं दिखी.
भूख मिटाने के लिए तो करना ही पड़ेगा
नया मोड़ स्थित फुटपाथ होटल का कामगार छोटू, हर आते-जाते इंसान को निहारता है. मन ही मन सोचता : अगर सभी व्यंजन की बिक्री जल्दी हो जाये, तो जैविक उद्यान घूम लेता. नये साल का जश्न मना लेता. लेकिन, दोपहर 2:30 बजे तक पतीला में रखा खाना उसके अरमान को तोड़ रहा था. छोटू सपना को दरकिनार अपने काम में लग जाता है. बोलता है : नया हो या पुराना साल, अपना काम तो जिंदगी के लिए जद्दोजहद करना है. हमारी जिंदगी में जश्न नहीं.
चलो बेटा ! कभी हम भी जश्न मनायेंगे
बस यूं ही जिंदगी चल कर थक जायेगी. हर कदम पर संघर्ष ही अपने जीवन का राज है. केजी वासिन पेट्रोल पंप-नया मोड़ से राजेंद्र चौक की ओर आता सोहन अपने बच्चे को इसी सच्चाई से रूबरू कराता है. कहता है : नया साल का जश्न कभी और मना लेंगे. जश्न मनाना अपनी किस्मत में नहीं है. पहले घर चलकर खाना बनाने की तैयारी कर लेते हैं. कुछ कार्टून चूल्हा जलाने के काम आयेगा, कुछ को संभाल कर रखा जायेगा. सोहन कहता है : इस बार भी नया साल में किस्मत दौड़ नहीं लगा पायी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें