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कार का माइलेज कम रहने पर जुर्माना

उपभोक्ता फोरम. मोटरयान निरीक्षक की रिपोर्ट पर उपभोक्ता का आरोप सत्य निकला 20 हजार रुपया के साथ नयी कार दें या वापस करें पैसा बोकारो : जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष गौतम महापात्रा ने एक मामले में टाटा मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 20 हजार रुपया जुर्माना के साथ उपभोक्ता को नयी कार देने या […]

उपभोक्ता फोरम. मोटरयान निरीक्षक की रिपोर्ट पर उपभोक्ता का आरोप सत्य निकला

20 हजार रुपया के साथ नयी कार दें या वापस करें पैसा
बोकारो : जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष गौतम महापात्रा ने एक मामले में टाटा मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 20 हजार रुपया जुर्माना के साथ उपभोक्ता को नयी कार देने या कार का पूरा पैसा वापस करने का फैसला सुनाया है. यह मामला सीसी केस संख्या 87/15 के तहत चल रहा था. फोरम में यह मामला सेक्टर 12 बी, आवास संख्या 4115 निवासी एमएल शर्मा की पत्नी अमीता शर्मा द्वारा 19 अगस्त 2015 को दर्ज कराया गया था. मामले में कार बनाने वाली कंपनी टाटा मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, सिटी सेंटर स्थित टाटा मोटर्स कंपनी की कार बेचने वाले डीलर क्राफ्ट ऑटो समेत कंपनी के प्रबंध निदेशक व अन्य अधिकारियों को विपक्षी पार्टी बनाया गया था.
10 किलोमीटर कम माइलेज दे रही थी कार : अमीता शर्मा ने फोरम में बताया था कि उसने टाटा मोटर्स के अधिकृत डीलर क्राफ्ट ऑटो से टाटा कंपनी की एक इंडिगो डीजल कार (जेएच09एस-6060) 14 जून 2012 को खरीदी थी. कार खरीदते समय कंपनी के अधिकारियों व डीलर ने बताया था कि उक्त कार 25 किलोमीटर प्रति लीटर के हिसाब माइलेज देती है. 25 लीटर प्रति किलोमीटर की माइलेज सुन कर अमीता शर्मा ने कार खरीदी, लेकिन उक्त कार से कभी भी 15 किलोमीटर से अधिक का माइलेज नहीं मिला. कार की निर्धारित समय पर सर्विसिंग व सही देखभाल के बाद भी माइलेज सही नहीं मिला. शो-रूम में बार-बार शिकायत करने व सर्विसिंग के बाद भी कार के माइलेज में सुधार नहीं हुआ. परेशान अमीता शर्मा ने टाटा मोटर्स कंपनी को पहले कोर्ट से नोटिस भिजवाया. कंपनी ने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया. निर्धारित समय पूरा होने के बाद अमीता ने उपभोक्ता फोरम में मामला दर्ज करा दिया.
मोटरयान निरीक्षक ने भी कंपनी को दोषी ठहराया
फोरम के नोटिस पर टाटा मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के अधिवक्ता फोरम में उपस्थित हुए. उन्होंने बताया कि कंपनी द्वारा 25 किलोमीटर के हिसाब से माइलेज देने का कोई वादा नहीं किया गया था. सूचक द्वारा फोरम को दिगभ्रमित कर मामला दर्ज कराया गया है. कार का किलोमीटर देख कर यह साफ है कि उक्त कार का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है. फोरम ने इस मामले की जांच का जिम्मा मोटर यान निरीक्षक को दिया. मोटर यान निरीक्षक ने माइलेज की जांच की और कंपनी को दोषी ठहराते हुए बताया कि कार का माइलेज 19 किलोमीटर से ज्यादा नहीं है. दोनों पक्षों की बात सुनने व मोटर यान निरीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर फोरम अध्यक्ष ने टाटा कंपनी को दोषी ठहराया. फोरम अध्यक्ष ने फैसला सुनाते हुए कंपनी को निर्देश दिया कि 45 दिनों के भीतर टाटा कंपनी उपभोक्ता को उसी मॉडल की नयी कार 20 हजार रुपया जुर्माना के साथ दें अन्यथा कार की कीमत व जुर्माना की राशि 20 हजार रुपया जोड़ कर छह लाख सात हजार 491 रुपया का भुगतान करे. निर्धारित समय पर आदेश का पालन नहीं करने पर कंपनी को पूरे रकम का दस प्रतिशत ब्याज भी देना पड़ेगा. ब्याज की रकम 14 जून 2012 से भुगतान की तिथि तक प्रभावी रहेगी.

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