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रौनक को 62 लाख रुपये का पैकेज

-आइआइटी, खड़गपुर में है अध्ययनरत -रंजीत सिंह- बाघमाराः बाघमारा बाजार निवासी रौनक हैलिवाल को अमेरिका की प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर कंपनी एपिक ने सालाना एक लाख डॉलर का पैकेज ऑफर किया है. यह राशि भारतीय मुद्रा में 62 लाख रुपये से अधिक है. श्री हैलिवाल आइआइटी, खड़गपुर में कंप्यूटर साइंस के अंतिम वर्ष में अध्ययनरत हैं. कंपनी […]

-आइआइटी, खड़गपुर में है अध्ययनरत

-रंजीत सिंह-

बाघमाराः बाघमारा बाजार निवासी रौनक हैलिवाल को अमेरिका की प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर कंपनी एपिक ने सालाना एक लाख डॉलर का पैकेज ऑफर किया है. यह राशि भारतीय मुद्रा में 62 लाख रुपये से अधिक है. श्री हैलिवाल आइआइटी, खड़गपुर में कंप्यूटर साइंस के अंतिम वर्ष में अध्ययनरत हैं. कंपनी ने चार दिन पूर्व संस्थान में संपन्न कैंपसिंग के दौरान रौनक को अनुबंधित किया. कपड़ा व्यवसायी संतोष कुमार हैलिवाल के पुत्र रौनक 2014 में अपनी पढ़ाई समाप्त होने के बाद अमेरिका रवाना होंगे. वर्ष 2010 की आइआइटी प्रवेश परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर1909 रैंक लाने के बाद उन्होंने खड़गपुर स्थित आइआइटी में दाखिला लिया था.

कंपनी ने रौनक के अलावा 10 अन्य छात्रों का भी अपने यहां चयन किया है.

शुरू से रहा है बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड

पढ़ाई में रौनक का शुरू ही से बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड रहा है. उन्होंने डीएवी पब्लिक स्कूल, बरोरा से मैट्रिक ( 94.6 फीसदी) पास किया. बोकारो के दिल्ली पब्लिक स्कूल से अंक प्लस-टू (91.8 फीसदी) किया. इस कड़ी में अमेरिकी कंपनी एपिक में चयन होना गौरवान्वित करने वाली बात है. रौनक ने रविवार को इस संवाददाता से अपनी इस उपलब्धि के बारे में क ई बातें शेयर कीं. कहा कि वह काफी खुश है. लेकिन उपलब्धियां यहीं तक सीमित नहीं हैं. आगे और भी पड़ाव हैं. रौनक को अपना क्षेत्र छोड़ने का गम सताता है, लेकिन उन्हें इस बात का भान है कि अपने परिवार, क्षेत्र और झारखंड राज्य का नाम ऊंचा किया है. पढ़ाई में पूरे परिवार, खासकर मां बिंदु देवी व पिता संतोष कुमार हैलिवाल व बहन सोनम का काफी योगदान रहा. सोनम धनबाद के पहले महिला बैंक में क्लर्क हैं.

आइआइटीयन बना प्रेरणास्रोत

बाघमारा निवासी रमेश सर्राफ के पुत्र रोहित सर्राफ ने वर्ष 2008 की आइआइटी प्रवेश परीक्षा में देश भर में 53वां रैंक लाया था. वह घड़ी रौनक के लिए जीवन में बदलाव लेकर आयी. उन्होंने भी मिशन आइआइटी की ठान ली. पहली बार में रैंक अच्छा नहीं रहने के कारण दाखिला नहीं लिया. नये सिरे से तैयारी के लिए कोटा का रुख किया. वहां एक वर्ष तक कोचिंग ली. 2010 की परीक्षा में उन्हें आशातीत सफलता मिली. देश भर में 1909 रैंक प्राप्त किया.

क्या कहते हैं रौनक

रौनक इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे छात्रों को कड़ी मेहनत करने की सलाह देते हैं. वह कहते हैं कि प्रतिस्पर्धा बढ़ गयी है. छात्रों को अपने गोल पर फोकस करना होगा. इधर-उधर की बजाय अपने विषय पर एकमात्र ध्यान केंद्रित क रें.

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