बोकारो: बोकारो जिले में चल रही कोल कंपनियों ने राज्य सरकार को करीब 40 हजार करोड़ की रॉयल्टी नहीं दी है. इन कपंनियों ने नियम के मुताबिक न ही राज्य सरकार को सलामी की रकम दी और न ही व्यावसायिक लगान दिया है. सरकार के आदेश के बाद डीसी बोकारो ने हर प्रखंड के सीओ को कोल कंपनियों द्वारा अधिग्रहित जमीन का ब्योरा मांगा और आज के बाजार मूल्य से सलामी और सरकारी दर पर 25 साल के व्यावसायिक लगान का आकलन करने को कहा.
सभी प्रखंड के सीओ ने अपर समाहर्ता को यह रिपोर्ट सौंप दी है. इस रिपोर्ट में चौकाने वाली बातें सामने आ रही है. जिले के चार प्रखंड में कंपनियों ने कोयला के लिए जमीन ली है. गोमिया, बेरमो, पेटरवार और चंदनकियारी. इन चारों प्रखंड का आकलन करने के बाद करीब 40 हजार करोड़ के रॉयल्टी बकाया का हिसाब मिला है.
सीसीएल का बकाया 35 हजार करोड़
बेरमो, गोमिया और पेटरवार में लगी सीसीएल की परियोजना के पास सबसे ज्यादा बकाया है. जब से कंपनी ने कोयला उत्खनन का काम शुरू किया है, तब से किसी तरह का कोई लगान या फिर सलामी की राशि राज्य सरकार को कंपनी ने नहीं दी है. नियम के मुताबिक जो भी कंपनी कोयला उत्खनन के लिए जमीन अधिग्रहित करती है, उसे 25 साल की सलामी और व्यावसायिक लगान देना पड़ता है. तीनों प्रखंड को मिला कर सीसीएल का बकाया 35 हजार करोड़ के आस-पास है. सीओ स्तर से रिपोर्ट आ जाने के बाद डीसी अपने स्तर से इसे सरकार को भेज देंगे. सरकार पहले नोटिस दे कर राशि देने को कहेगी, नहीं मिलने पर कोर्ट में जा सकती है. बताते चलें कि हाल में ही गुजरात में इसी तर्ज पर हाइकोर्ट ने ओएनजीसी को गुजरात सरकार को 11000 करोड़ देने का आदेश दिया है.