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पॉकेट मनी : बच्चों को समझाएं बचत का महत्व
बोकारो : पॉकेट मनी बच्चों को आर्थिक आजादी का अनुभव दिलाती है. इसके माध्यम से अभिभावकों को बच्चों को बचत का महत्व समझाने का अवसर भी मिलता है. पॉकेट मनी से बच्चा छोटी उम्र में कुछ नुकसान कर सकता है, लेकिन इससे उज्ज्वल भविष्य की बुनियाद मजबूत होगी. जिस प्रकार नन्हीं चिड़ियां उड़ना और दाना […]
बोकारो : पॉकेट मनी बच्चों को आर्थिक आजादी का अनुभव दिलाती है. इसके माध्यम से अभिभावकों को बच्चों को बचत का महत्व समझाने का अवसर भी मिलता है. पॉकेट मनी से बच्चा छोटी उम्र में कुछ नुकसान कर सकता है, लेकिन इससे उज्ज्वल भविष्य की बुनियाद मजबूत होगी.
जिस प्रकार नन्हीं चिड़ियां उड़ना और दाना चुनना अपने मां-बाप से सीखती है, ठीक इसी तरह आप अपने बच्चे को आर्थिक ज्ञान देकर उसे समृद्ध बनाने में मदद कर सकते हैं. बच्चों को तमाम संस्कार मां-बाप से ही मिलते हैं. यदि बच्चे को छोटी उम्र में ही वित्तीय अनुशासन का पाठ पढ़ाना शुरू कर दिया जाय तो उसका भविष्य उज्ज्वल हो सकता है.
बच्चों के लिए यह बात वित्तीय ज्ञान पर भी लागू होती है. आप छोटी-छोटी चीजों के माध्यम से बच्चों को पैसे और बचत का महत्व समझा सकते हैं. बच्चों को वित्तीय ज्ञान देने के लिए पॉकेट मनी एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. इससे उन्हें एक तो आर्थिक आजादी मिलेगी, साथ ही पैसे और बचत का महत्व समझाने में मदद मिलेगी. प्रस्तुत है इस बारे में शिक्षा विशेषज्ञों की राय.
अपनी मर्जी का बजट न थोपें
बच्चे को पॉकेट मनी की शुरु आत प्रतिमाह 10 या 20 रु पए से भी की जा सकती है. बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाय, उसकी पॉकेट मनी बढ़ाते जाय. इस दौरान आप अपने बजट का जरूर ध्यान रखें. इस बीच बच्चे से बातों-बातों में यह जरूर पता करते रहे हैं कि आखिर वह इस पैसे का कर क्या रहा है.
बच्चे पर निगरानी तो रखें, लेकिन अपनी मर्जी का बजट थोपने की कतई कोशिश न करें. याद रखें, बच्चों को घर का छोटा-मोटा काम कराने के लिए कभी पैसे का लालच न दें. स्कूल में कोई अच्छा काम किया है तो उसकी तारीफ तो जरूर करें, लेकिन पैसे न दें.
डॉ हेमलता एस मोहन, निदेशक व प्राचार्या, डीपीएस बोकारो
समझाएं काम करने से ही पैसे आते है
खासकर छोटे बच्चों को यह पता नहीं होता है कि पैसे कैसे और कहां से आते हैं. जब भी मां-बाप उन्हें किसी काम के लिए बताते हैं कि अभी पैसे नहीं हैं तो उनका तपाक से जवाब होता है कि एटीएम से ले आइये. इस बारे में आनाकानी की तो दूसरा जवाब होता है कि क्रेडिट कार्ड है न.
इस मामले में बच्चों की कोई गलती नहीं है. उन्हें यह अच्छी तरह से समझाएं कि काम करने से ही पैसे आते हैं. इसके लिए उसे अपने धोबी का उदाहरण दे सकते हैं. पूरे दिन में वह जितने ज्यादा कपड़ों पर प्रेस करेगा उसे उतनी ज्यादा आमदनी होगी.
डॉ अशोक सिंह, प्राचार्य-चिन्मय विद्यालय बोकारो
वित्तीय ज्ञान बढ़ाने के लिए खरीदारी की आदत डालें
दरअसल ज्यादातर बच्चों को खुशफहमी रहती है कि उनके मां-बाप के पास पैसे की कोई कमी नहीं हैं. ऐसे में जितना जल्दी हो सके, उसे हकीकत से अवगत करा दें. बच्चों को बतायें कि यदि आप अपनी आमदनी से ज्यादा खर्च करेंगे तो आपके सिर पर कर्ज का बोझ बढ़ जायेगा.
बच्चों में वित्तीय ज्ञान बढ़ाने के लिए खरीदारी की आदत डालना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. बढ़ती उम्र के साथ उन्हें खरीदारी के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए. शुरु आत में हो सकता है कि आपका बच्चा कुछ गलितयां करे, लेकिन यह चिंता करने की बात नहीं है.
रीता प्रसाद, प्राचार्या-दी पेंटीकॉस्टल असेंबली स्कूल
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