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अधिक मास का असर : 20 दिन दूर हुए त्योहार

बोकारो. पुरूषोत्तम मास या मलमास तीन साल के बाद बनने वाली तिथियों के योग से बनता है, जिसे अधिक मास भी कहते हैं. इस साल 17 जून से मलमास का योग बना है. इस बार का मलमास इस मायने में बेहद खास है कि यह योग 19 साल के बाद बन रहा है. आषाढ मास […]

बोकारो. पुरूषोत्तम मास या मलमास तीन साल के बाद बनने वाली तिथियों के योग से बनता है, जिसे अधिक मास भी कहते हैं. इस साल 17 जून से मलमास का योग बना है. इस बार का मलमास इस मायने में बेहद खास है कि यह योग 19 साल के बाद बन रहा है. आषाढ मास में मलमास के लगने का संयोग दशकों बाद होता है. इससे पूर्व 1996 में यह संयोग आया था. अगली बार यह संयोग 2035 में होगा. अधिक मास इस बार 17 जून से 16 जुलाई तक रहेगा. इस समय में शुभ कार्य वजिर्त रहते हैं, पर भागवत कथा का श्रवण करने से अभय फल की प्राप्ति होती है.
सूर्य सिद्धांत के अनुसार हर तीसरे वर्ष में अधिक मास होता है. सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रांति होना कहते हैं. सौर मास 12 और राशियां भी 12 होती हैं. जब दो पक्षों में संक्र ांति नहीं होती, तब अधिक मास होता है. यह स्थिति 32 माह और 16 दिन में एक बार यानी हर तीसरे वर्ष में बनती है. इस वर्ष अधिक मास के कारण पर्व-त्योहार 20 दिनों की देरी से होगी. इस माह को विष्णु जी की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है.
जुलाई से दिसंबर तक देरी से आयेंगे त्योहार : जुलाई से दिसंबर तक जो भी त्योहार होंगे, वे मौजूदा साल की तिथियों के मुकाबले 10 से 20 दिन तक की देरी से आयेंगे. जुलाई से दिसंबर तक होने वाले त्योहार 10 से 19 दिन की देरी से आयेंगे. यह स्थिति अधिक मास के कारण बनेगी. 2012 में अधिक मास होने के कारण दो भाद्रपद थे और 2015 में दो आषाढ. 2018 में 16 मई से 13 जून तक दो ज्येष्ठ होंगे. यानी नये वर्ष के शुरू के छह माह में त्योहार गत वर्ष की अपेक्षा दस दिन पहले और बाद के छह माह में देरी से होंगे.

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