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बाहरी छात्रों पर टिकी है सिटी सेंटर की अर्थव्यवस्था

बोकारो: बोकारो एजुकेशन हब है. शहर में दर्जनों अच्छे स्कूल हैं. 25 से ज्यादा कोचिंग इंस्टीट्यूट (क्लासेज) व 50 से ज्यादा ट्यूशन सेंटर हैं. इसके कारण यहां पूरे झारखंड और अन्य राज्यों के विद्यार्थी 10 प्लस टू की पढ़ाई व इंजीनियरिंग, मेडिकल की तैयारी करने आते हैं. बाहर से प्रत्येक वर्ष छह-सात हजार स्टूडेंट्स यहां […]

बोकारो: बोकारो एजुकेशन हब है. शहर में दर्जनों अच्छे स्कूल हैं. 25 से ज्यादा कोचिंग इंस्टीट्यूट (क्लासेज) व 50 से ज्यादा ट्यूशन सेंटर हैं. इसके कारण यहां पूरे झारखंड और अन्य राज्यों के विद्यार्थी 10 प्लस टू की पढ़ाई व इंजीनियरिंग, मेडिकल की तैयारी करने आते हैं. बाहर से प्रत्येक वर्ष छह-सात हजार स्टूडेंट्स यहां आते हैं. ये स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई के साथ-साथ रहने-खाने समेत अन्य पर सालाना लगभग सात करोड़ 50 लाख रुपये खर्च करते हैं. प्रत्येक छात्र का मासिक खर्च लगभग दस हजार व सालाना एक लाख 20 हजार रुपये है.

सिटी सेंटर की रौनक हैं स्टूडेंट्स : सेक्टर चार का सिटी सेंटर की रौनक इन्हीं स्टूडेंट्स से है. यहां के कोचिंग सेंटर व ट्यूशन सेंटर के अलावा रेस्टोरेंट, कपड़ा दुकान व अन्य जरूरी चीजों की दुकानें स्टूडेंट्स से गुलजार रहती है. हॉस्टल में रह रहे स्टूडेंट्स की वजह से सिटी सेंटर में देर रात तक रौनक बनी रहती है. एक साथ खाना-खाने व पढ़ाई की वजह से एक-दूसरे के यहां आवाजाही बनी रहती है.

व्यापार में 50 फीसदी का योगदान: सिटी सेंटर के कुल व्यापार में स्टूडेंट्स 50 फीसदी से ज्यादा योगदान करते हैं. रेस्टोरेंट, बुक्स व स्टेशनरी, इंटरनेट -मोबाइल, रेडिमेड कपड़े व जूते आदि दुकानों के व्यवसाय में तो स्टूडेंट्स का योगदान 75 फीसदी तक रहता है.

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