जैनामोड़ : राज्य की पंचायतों को अधिकार संपन्न करने की लड़ाई अपने मुकाम पर भले ही आ गयी हो, पर सच का चेहरा बड़ा ही कुरूप है. जरीडीह प्रखंड में सुखाड़ राहत से निपटने के लिए वर्ष 2010-11 में मिली आवंटित राशि अधिकांश पंचायत खरच नहीं सकी.
एक आधिकारिक जांच के क्रम में सात पंचायत में वित्तीय अनियमितता प्रकाश में आने की बात कही गयी है.दो वर्ष के बाद भी इस राशि का खर्च नहीं होना, कई सवाल खड़े कर रहा है. गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2010-11 को सुखाड़ से निपटने के लिए चापाकल अधिष्ठापन (नया लगाने) एवं मरम्मती के लिए प्रत्येक पंचायत को दो–दो लाख रुपये आवंटित किये गये थ़े रकम संबंधित पंचायत के मुखिया व पंचायत के सचिव सह पंचायत सेवक के मार्फत खर्च होनी थी.
प्रखंड के पंचायतों द्वारा आवंटित राशि के विरुद्घ हुए खर्च का प्रखंड मुख्यालय को भेजे गये प्रतिवेदन से खुलासा हुआ कि प्रखंड की कुल 17 पंचायतों में से सात पंचायतों ने इस खर्च का पूरा ब्यौरा नहीं दिया है.
प्रखंड मुख्यालय के लगातार दबाव के बावजूद पंचायत के मुखिया व सचिव ने गंभीरता दिखायी. राशि खर्च नहीं होने की बात को प्रखंड के बीडीओ सत्यवीर रजक ने भी कबूला है. उन्होंने कहा कि सभी पंचायतों को राशि विमुक्त किये जाने के बाद भी खर्च नहीं होना एक गंभीर विषय है.
इसके लिये उनके स्तर से ठोस कार्रवाई शुरू की गयी है. प्रखंड स्तर पर एक जांच टीम गठित कर पंचायतों को प्रदत्त राशि के विरुद्घ हुए खर्च व उक्त राशि से हुए कामों का बारीकी से निरीक्षण किया है. इससे सात पंचायतों में राशि खर्च नहीं होने व अनियमिततता बरतने का मामला सामने आया है. इससे पूर्व14 पंचायतों का डीसी विपत्र उपायुक्त को तीन अगस्त 2012 को समíपत किया गया था.
इसके आलोक में प्रखंड स्तर पर गठित टीम ने पंचायतों के सभी अभिलेखों, पंजियों व अन्य दस्तावेजों की जांच की. जांच रिपोर्ट में टीम ने सात पंचायत में वित्तीय अनियमितता परिलक्षित होने की बात कही गयी है.