बोकारो : बोकारो में मोनेट व आर्सेलर मित्तल के प्लांटों के लिए सरकार भूमि उपलब्ध करायेगी. इसके लिए प्रशासन जोर शोर से कार्य कर रहा है. राज्य सरकार दोनों कंपनी को बोकारो में लगाने को इच्छुक है. मुख्य सचिव डीसी उमाशंकर सिंह से इस बाबत चर्चा कर चुके है. सीएस ने दोनों कंपनी के नहीं लगने के कारणों व भूमि उपलब्धता के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. रिपोर्ट तैयार हो चुकी है.
शीघ्र होगी वीसी : शुक्रवार को हजारीबाग में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में व्यस्तता को लेकर मुख्य सचिव से डीसी की इस बाबत चर्चा नहीं हो सकी. शीघ्र ही इस बाबत वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सरकार व जिला स्तर पर होने वाली पहल की चर्चा करेंगे. मुख्य सचिव के साथ वीसी के बाद मामला और भी स्पष्ट हो जायेगा. बताते चलें कि दोनों कंपनी का एमओयू अभी कार्यशील है.
मोनेट की 14,555 करोड़ की योजना : मोनेट इस्पात एंड इनर्जी लिमिटेड ने वर्ष 2009 के अंत में बोकारो आकर जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर चास व चंदनकियारी प्रखंड के सीमावर्ती इलाके में भूमि चिह्न्ति की. कंपनी को कम से कम 2000 एकड़ भूमि की आवश्यकता है. कंपनी ने अपने स्तर से लगभग आठ सौ एकड़ जमीन के लिए रैयतों से सहमति भी ले ली थी. कंपनी की 2.5 मिलियन टन का स्टील प्लांट व 280 मेगावाट का पावर प्लांट निर्माण की योजना है. यह योजना 14,555 करोड़ रु की है.
मित्तल की 40,000 करोड़ की योजना : आर्सेलर मित्तल ने वर्ष 2005 में एमओयू किया. कंपनी की योजना 12 मिलियन टन का स्टील प्लांट लगाने की है. कंपनी 40,000 करोड़ निवेश करेगी. कंपनी बोकारो जिला के कसमार व पेटरवार प्रखंड में प्रोजेक्ट स्थल के रैयतों का सहमति पत्र भी ले लिया है. तेनुघाट से पानी के लिए भी जल संसाधन विभाग से अनुमति ले ली गयी है. आर्सेलर मित्तल के झारखंड प्रमुख पीएस प्रसाद पूर्व में ही ग्रामीणों व जन प्रतिनिधियों के साथ कई बैठक कर चुके हैं.