मंगला के अनुसार, बंसत की सैलून दुकान बोकारो जेनरल अस्पताल के सामने थी, जब मंगला मोदक बंध्याकरण कराने बीजीएच आयी थी, इसी दौरान उसके पति व बसंत के बीच जान-पहचान हुई था. गत 26 जनवरी को बसंत ने पति-पत्नी को खाना खाने के लिए निमंत्रण देकर बुलाया. यहां आने पर गाड़ी पर बैठा कर गिरिडीह जिला स्थित अपने गांव ले गया.
गांव पहुंच कर महिला के पुत्र सिमंत मोदक को गोद लेने की बात करने लगा. मना करने पर मारपीट की. दूसरे कमरे में महिला के बड़े पुत्र अभिषेक को ले गया और कैद कर लिया. बसंत ने धमकी दी कि अगर छोटे पुत्र सिमंत मोदक के गोद लेने के कागजात पर हस्ताक्षर नहीं किया, तो दोनों पुत्र की हत्या कर दी जायेगी.
डर से पति-पत्नी बात मानने को तैयार हो गये. 29 जनवरी को गिरिडीह रजिस्ट्री कार्यालय में जाकर बसंत के कहने के अनुसार कई कागजात पर पति-पत्नी ने अपना अंगूठा का निशान लगाया. इसके बाद पुत्र सिमंत मोदक को रख कर 30 जनवरी को बोकारो आने के लिए रिहा किया. महिला ने बताया है कि जब वह अपने पुत्र को छोड़ कर आ रही थी. इस दौरान वह काफी रो रहा था. फिर भी उन लोगों को दया नहीं आयी. महिला ने अपनी गुहार उपायुक्त के अलावा उत्तरी छोटानागपुर प्रक्षेत्र के आइजी व एसपी से भी लगायी है. हर हाल में अपने पुत्र को वापस दिलाने की मांग की है.