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स्वदेशी मेला में देसी लिट्टी-चोखा

बोकारो: स्वदेशी मेला में देसी व्यंजनों की धूम है, हालांकि लिट्टी-चोखा के सामने सभी व्यंजन फीके पड़ रहे हैं. चाउमिन, पिज्जा व बर्गर के स्टॉल मेला की शोभा बढ़ा तो रहे हैं, पर देशी पकवान के आगे उनकी मांग कम है. प्रतिदिन 3500 से 4000 तक लिट्टी बिक रही है. इसके अलावा 2500 से 3000 […]

बोकारो: स्वदेशी मेला में देसी व्यंजनों की धूम है, हालांकि लिट्टी-चोखा के सामने सभी व्यंजन फीके पड़ रहे हैं. चाउमिन, पिज्जा व बर्गर के स्टॉल मेला की शोभा बढ़ा तो रहे हैं, पर देशी पकवान के आगे उनकी मांग कम है. प्रतिदिन 3500 से 4000 तक लिट्टी बिक रही है. इसके अलावा 2500 से 3000 जलेबी व 1500 से 1700 समोसे का लुत्फ बोकारोवासी उठा रहे हैं. लिट्टी के साथ आलू, बैंगन व टमाटर का स्पेशल चोखा भी दिया जा रहा है.

लिट्टी का स्टॉल स्वदेशी जागरण मंच की ओर से लगाया गया है. मेले में स्टॉल के माध्यम से आय का उपयोग भविष्य में समाजोपयोगी कार्य में किया जायेगा. राजस्थानी व्यंजन भी मेले में आकर्षण का केंद्र है. लिट्टी, समोसा व जलेबी की कीमत 10 रुपया प्रति दो पीस है.

दूध से गूंथा जाता है आटा
लिट्टी को गोल्डन गेहूं के आटा से तैयार कि या जाता है. इसे पानी के बजाय दूध से गूंथा जाता है. चने की सत्तू में पांच प्रकार के मसाले मिलाये जाते हैं. देशी घी से मसाले को मिलाया जाता है. स्टॉल संचालकों की माने तो लिट्टी को नो प्रोफिट नो लॉस के सिद्धांत से बेचा जा रहा है. इसके अलावा राजस्थानी थाली, दाल बट्टी चूरमा, दही बड़ा, टिक्की चाट, मावा कचौड़ी, राजस्थानी भेलपुड़ी, मुंग दाल कचौड़ी, प्याज कचौड़ी, मुंगदाल का हलवा, पापड़ी चाट, चुरमे का लड्डू भी लोगों को आकर्षित कर रहा है. राजस्थानी थाली में बाजरे की रोटी, मिक्सी रोटी, बेसन की सब्जी व कैरसांगरी की सब्जी परोसी जा रही है. युवा वर्ग मेले में आइस्क्रीम व पेस्ट्री का भी आनंद ले रहे हैं.

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