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शाहरुख से हैं सब खफा

सरॉगट मदर के पेट में मेरा बेटा है… सुपरस्टार शाहरुख खान के इस बयान ने सेक्स डिटेक्शन पर नई कंट्रोवर्सी खड़ी कर दी है. दो बच्चे के पिता शाहरुख खान ने तीसरे बच्चे की चाहत में सरॉगेट मदर का सहारा लिया है और फिर गर्भ में पल रहे बच्चे को बेटा बताया है. बढ़ते विवाद […]

सरॉगट मदर के पेट में मेरा बेटा है… सुपरस्टार शाहरुख खान के इस बयान ने सेक्स डिटेक्शन पर नई कंट्रोवर्सी खड़ी कर दी है. दो बच्चे के पिता शाहरुख खान ने तीसरे बच्चे की चाहत में सरॉगेट मदर का सहारा लिया है और फिर गर्भ में पल रहे बच्चे को बेटा बताया है.

बढ़ते विवाद के बीच डॉक्टरों की कम्यूनिटी ने भी इस मामले में कड़ा रुख अख्तयार करते हुए मामले की जांच की मांग की है. डॉक्टरों का कहना है कि सरोगेट मदर के बच्चे की सेक्स जांच करने वाले डॉक्टर और जांच कराने वाले पैरंट्स के खिलाफ एक्शन लिया जाए. इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) ने मुंबई की पीएनडीटी एक्ट टीम को लेटर लिखकर जांच की मांग की है.

आईएमए के सचिव डॉ. नरेंद सैनी ने कहा कि अगर शाहरुख ने ऐसा बयान दिया है तो इसका मतलब है कि वह जानते हैं कि वह बच्चा लड़का ही है. यह तभी संभव है जब बच्चे का सेक्स डिटरमिनेशन टेस्ट हुआ हो. अव्वल तो शाहरुख को यह जांच कराना ही नहीं चाहिए था, लेकिन जांच के बाद ऐसा बयान देना तो और भी चिंता की बात है. अगर इस बयान में सचाई है, तो यह अपराध है.

एक रोल मॉडल का ऐसा काम निंदनीय है. आईएमए सदस्य डॉक्टर के. के. अग्रवाल ने कहा कि भारत में गर्भस्थ बच्चे के सेक्स की जांच कराना 1996 से बैन है, ताकि कन्या भ्रूणहत्या पर लगाम लग सके. उनका कहना है कि पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहत अगर कोई डॉक्टर सेक्स जांच करने का दोषी पाया जाता है, तो उसके क्लिनिक का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है, उसे पांच साल कैद की सजा हो सकती है और उसका लाइसेंस 5 साल के लिए कैंसल हो सकता है. जबकि जांच कराने वाले पैरंट्स के लिए भी 5 साल जेल की सजा का प्रावधान है.

डॉक्टर सैनी ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए हमने फिलहाल मुंबई पीएनडीटी टीम को लेटर लिखा है और उन्हें इसकी जांच करने को कहा है. अगर जांच में शाहरुख दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ एक्शन हो सकता है. उन्होंने कहा कि हर बार सेक्स जांच के लिए केवल डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन यहां अल्ट्रासाउंड तकनीक की मदद एक पेशंट के लिए नहीं, बल्कि एक पैरंट्स के लिए सेक्स जांच का पता लगाने के लिए किया गया है. ऐसे लोगों के प्रति सहानुभूति की भी जरूरत नहीं है. गौरतलब है कि साल 2011 के आंकड़ों के अनुसार देश में 6 साल की उम्र के 1000 लड़के पर सिर्फ 914 लड़कियां हैं.

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