मुंबई: मुंबई की एक सत्र अदालत 10 जून को अभिनेता सलमान खान की मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के खिलाफ अपील पर फैसला सुनाएगी.
मजिस्ट्रेट अदालत ने साल 2002 के हिट एंड रन मामले में उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या के मामले में फिर से मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. सत्र अदालत के न्यायाधीश यू बी हेजिब ने एक महीने पहले दलील पूरी होने के बाद अपील पर फैसला सुनाने के लिए 10 जून की तारीख निर्धारित की थी.
गैर इरादतन हत्या (ईपीसी की धारा 304 भाग 2)के गंभीर आरोप लगाने के खिलाफ दलील देते हुए खान के वकील अशोक मुंदार्गी ने दलील दी थी कि मजिस्ट्रेट अदालत का आदेश ‘त्रुटिपूर्ण, कानूनन गलत और रिकार्ड में दर्ज साक्ष्य के विपरीत’ है.
उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट इस बात को समझने में विफल रहे कि अभिनेता की न तो :लोगों की हत्या करने की: मंशा थी और न ही उन्हें इस बात की जानकारी थी कि लापरवाही से उनके वाहन चलाने से एक व्यक्ति की मौत हो जाएगी और चार अन्य घायल हो जाएंगे.
इस धारा के तहत अपराध के लिए 10 साल के कारावास की सजा का प्रावधान है और इसपर सत्र अदालत मुकदमा चला सकती है. खान के खिलाफ इससे पहले लापरवाही से मौत (आईपीसी की धारा 304 ए) के हल्के आरोप के तहत मजिस्ट्रेट ने मुकदमा चलाया था, जिसके लिए अधिकतम दो साल के कारावास का प्रावधान है.
हालांकि, मामले में आए नए मोड़ में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 17 गवाहों का परीक्षण करने के बाद 47 वर्षीय अभिनेता के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के गंभीर आरोप लगाए थे और इसे दोबारा मुकदमे के लिए सत्र अदालत के पास भेज दिया था.
खान के वकील ने अपील पर लिखित दलील भी दायर की और मौखिक दलील दी. लोक अभियोजक शंकर एरांडे ने खान की अपील का विरोध करते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट ने गैर इरादतन हत्या के आरोप ठीक ही लगाए क्योंकि अभिनेता ने गंभीर अपराध किया था.
इरांडे ने दलील दी कि अभियोजन पक्ष के गवाह रवींद्र पाटिल (अब मृत) ने उन्हें चेतावनी दी थी कि वह लापरवाही से वाहन नहीं चलाएं. इसके बावजूद खान ने इसपर ध्यान नहीं दिया और काफी तेज गति से गाड़ी चलाई.
पाटिल के एक पुलिस अंगरक्षक थे जो अभिनेता की सुरक्षा में तैनात थे और दुर्घटना के समय उनके साथ थे. अभियोजक ने कहा कि खान नशे में थे और उनके रक्त के नमूने से 60 मिलीग्राम शराब का खुलासा हुआ, जो स्वीकृत सीमा से अधिक है.
एक अन्य घटनाक्रम में अधिवक्ता आभा सिंह ने अदालत से अनुरोध किया था कि वह उन्हें इस मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति दे. उन्होंने कहा कि सीआरपीसी की धारा अभियोजक की मदद करने की अनुमति देती है. वह कार्यकर्ता संतोष दाउन्डकर की वकील हैं.
हालांकि, अभिनेता के वकील ने दाउन्डकर की याचिका पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि इस मामले में उनका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. लोक अभियोजक इरांडे ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस ने पिछले पांच वर्षों में गवाहों का परीक्षण नहीं करके अभिनेता पर कृपादृष्टि की. उन्होंने अभिनेता की नियमित पेशी पर जोर दिया.
अदालत 10 जून को दाउन्डकर की याचिका पर भी फैसला सुनाएगी. गौरतलब है कि 28 सितंबर 2002 को तड़के उपनगरीय बांद्रा में एक बेकरी के बाहर पटरी पर सो रहे लोगों के एक समूह को खान की लैंड क्रूजर ने कथित तौर पर कुचल दिया था. इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और चार अन्य घायल हो गए थे. वाहन खुद सलमान खान चला रहे थे.