27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हिंदी दिवस आज : बोकारो में बसता है हिंदुस्तान

हर राज्य के लोग देते हैं विकास में सहयोग, कभी नहीं बनती भाषा की दीवार बोकारो : खोरठा, बंगाली, मगही, भोजपुरी, मैथिली, पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती, ओड़िया, मलयालम… ऐसे ही अनेक भाषा बोकारो में बोली जाती है. देश के लगभग हर राज्य के लोग बोकारो में किसी न किसी रूप में सेवा दे रहे हैं. मतलब, […]

हर राज्य के लोग देते हैं विकास में सहयोग, कभी नहीं बनती भाषा की दीवार
बोकारो : खोरठा, बंगाली, मगही, भोजपुरी, मैथिली, पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती, ओड़िया, मलयालम… ऐसे ही अनेक भाषा बोकारो में बोली जाती है. देश के लगभग हर राज्य के लोग बोकारो में किसी न किसी रूप में सेवा दे रहे हैं.
मतलब, बोकारो में हिंदुस्तान बसता है. हर राज्य के लोग मिलकर बोकारो के विकास में सहयोग देते हैं. इस सहयोग में भाषा कभी दीवार नहीं बनती. कारण होती है राष्ट्र भाषा हिंदी. हिंदी तमाम भाषा के बीच पुल का काम करती है. यदि कहीं भाषा की समझ फेर बनती है, तो हिंदी समझदारी के रूप में सामने आती है. 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है.
इसी दिन 1949 में संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था. गुरुवार को प्रभात खबर ने विभिन्न भाषी लोगों से बात की. समझना चाहा, क्या भाषा के कारण काम में परेशानी होती है, भारत के विभिन्न हिस्सों में घूमने के दौरान भाषा की समस्या में हिंदी ने कैसे मदद पहुंचाया, साथ ही देश को एक धागा में बांध कर रखने में हिंदी कैसे योगदान देता है… लोगों ने बताया : हिंदी सभी भाषा का अभिभावक है. इसकी समृद्धता देश को मजबूत बनाता है.
लोगों को एक सूत्र में बांधती है हिंदी
कई मौकों पर स्थानीय भाषा के कारण समझने में परेशानी हुई है, वहां हिंदी ने काम किया है. हिंदी को बढ़ावा दें.
सूरज महतो, सेक्टर 09
यहां खोरठा को लोग समझते हैं, लेकिन बाहर निकलने पर जरा परेशानी होती है. हिंदी इस परेशानी को कम करती है.
रघुनाथ महतो, सेक्टर 09
घर में बंगाली ही बोलता हूं, लेकिन अाधिकारिक काम के लिए हिंदी का प्रयोग करता हूं. इससे अच्छा संवाद होता है.
पीके पॉल, को-ऑपरेटिव
दक्षिण भारत में जाने के दौरान हिंदी की अहमियत समझ में आती है. हिंदी भाषा के बीच ब्रिज का काम करता है.
गणेश चंद्र, सेक्टर 04
गुजराती समझना मुश्किल नहीं है. लेकिन, हर जगह इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. हिंदी पूरे देश में भाव साझा करने का माध्यम है.
विरल बोघाणी, सिटी सेंटर
दक्षिण भारत जाने के बाद भाषा की परेशानी होती है. केरल में परेशानी हुई थी. वहां हिंदी ने परेशानी कम किया था.
गौतम जैन, सेक्टर 04
हर राज्य की हर भाषा को समझना संभव नहीं है. हिंदी इन भाषा को एक सूत्र में बांधने का काम करती है.
बालशेखर झा, सेक्टर 06
हिंदी के ज्यादा से ज्यादा प्रयोग से हिंदी का प्रचलन बढ़ेगा. सरकार भी कोशिश हो रही है. लोगों को सहयोग करना चाहिए.
डॉ अभिषेक कुमार, सेक्टर 01
हिंदी सर्वोपरि है. देश की हर दिशा को एक सूत्र में बांधने के लिए हिंदी जरूरी है. ज्यादा ऑफिसियल प्रयोग होना चाहिए.
सुमन कुमार, सेक्टर 09
हिंदी जीवन की भाषा है. हिंदी के इतर भारत में किसी भी भाषा के जरिये अाधिकारिक काम करना मुश्किल है. हालांकि अंग्रेजी का प्रचलन बढ़ रहा है.
हरवंश सिंह सलूजा, सर्वोदय नगर-चास
13 बोक 11 – अमित मिश्रा
घर के बाहर स्थानीय भाषा का प्रयोग कभी-कभी समझ का फेर साबित होती है. ऐसे में हिंदी ही दो भाषी के बीच रिश्ता बेहतर बनाता है. हिंदी देश की भाषा है.
अमित मिश्रा, चेकपोस्ट

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें