पहले फेज में तीन साल में 30 लाख टन तथा दूसरे फेज में 19 साल में करना है 190 लाख टन खनन
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कोलियरी खोलने की सक्रियता बढ़ी सक्रिय
पहले फेज में तीन साल में 30 लाख टन तथा दूसरे फेज में 19 साल में करना है 190 लाख टन खनन वर्ष 2005 से बंद है ढोरी एरिया की पिछरी कोलियरी बेरमो : सीसीएल के ढोरी एरिया को भविष्य में कोयला खनन मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बंद खदानों को चालू करने तथा […]
वर्ष 2005 से बंद है ढोरी एरिया की पिछरी कोलियरी
बेरमो : सीसीएल के ढोरी एरिया को भविष्य में कोयला खनन मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बंद खदानों को चालू करने तथा खदान के विस्तार की दिशा में प्रबंधकीय कार्रवाई काफी तेज है. खासकर बंद पिछरी कोलियरी की भावी योजना को ले सीसीएल मुख्यालय काफी सक्रिय है. बंद माइंस को चालू करने की कवायद तेज कर दी गयी है.
सत्यापन को ले कागजात पर जिच : पिछरी कोलियरी के रैयतों के साथ भी ढोरी क्षेत्रीय प्रबंधन लगातार बैठक कर रहा है. जमीन मापी के लिए कार्रवाई चल रही है. बंद माइंस को चालू होने को लेकर विस्थापित व रैयतों का भी आंदोलन तेज हो गया है. विस्थापित रैयत भी बैठक कर कह रहे हैं. पिछरी में अधिकारियों के कैंप में सत्यापन को कागजात सौंपने रैयत नहीं जा रहे. जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी किये बिना प्रशासन के दबाव पर प्रबंधन माइंस को चालू करना चाहता है. रैयत यह किसी भी सूरत में नहीं होने देंगे. इधर, पिछले दिनों बोकारो उपायुक्त ने भी सीसीएल के बीएंडके, ढोरी व कथारा महाप्रबंधकों के साथ बैठक कर माइंस विस्तार में आ रही बाधाएं, फोरेस्ट क्लीयरेंस सहित अन्य तरह की बाधाओं के बाबत पूरी जानकारी ली है.
प्रगति है धीमी : प्रबंधकीय सूत्रों की मानें तो चालू वित्तीय वर्ष में अगर पिछरी कोलियरी से कोयला खनन शुरू नहीं हुआ तो ढोरी एरिया को अपना लक्ष्य हासिल करने में कठिनाई होगी. एरिया अंतर्गत एसडीओसीएम फोरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिलने से सालाना 22 लाख से ज्यादा उत्पादन नहीं कर पा रहा. पिछरी कोलियरी को चालू करने के लिए पिछले कई वर्षों से प्रबंधन काफी सक्रिय है, पर कामयाबी नहीं मिल पा रही. खासकर ढोरी एरिया के तत्कालीन जीएम चरण सिंह एवं एम कोटेश्वर राव के कार्यकाल में इस दिशा में कुछ कार्रवाई आगे बढ़ी, पर आजतक स्थिति पूर्ववत है. दो साल पहले इस कोलियरी से कोयला खनन एवं ओबी रिमूवल के लिए बेरमो की बीकेबी एंड कंपनी को दो साल की निविदा दी गयी. दो साल में उक्त कंपनी द्वारा काम शुरु नहीं करने के बाद सीसीएल मुख्यालय ने उक्त निविदा कैंसिल कर दी. इसके बाद नया टेंडर नहीं हुआ है.
1988 से सीसीएल संचालित थी कोलियरी : राष्ट्रीकरण के पूर्व पिछरी कोलियरी निजी खानगी मालिक श्रीराम सिंह एंड कंपनी के अधीन थी. राष्ट्रीयकरण के बाद यह सीसीएल में आ गयी. वर्ष 1988 से सीसीएल ने विधिवत यहां उत्पादन शुरू किया. वर्ष 2000-01 के वित्तीय वर्ष में इस कोलियरी ने पांच लाख टन उत्पादन किया. हर साल डेढ़-दो लाख सालाना उत्पादन होता था. रैयतों के विवाद से मार्ग के अभाव में इस कोलियरी से कोयला संप्रेषण नहीं हो पाया. अंतत: प्रबंधन ने वर्ष 2005 में इस कोलियरी को बंद कर दिया. अत्यधिक सीपेज के कारण बरसात में खनन बंद कर दिया जाता था.
कुल 185 हैक्टेयर में फैली है कोलियरी : सीएमपीडीआइ की रिपोर्ट के अनुसार पूरा पिछरी कोलियरी कुल 185 हेक्टेयर भूमि में फैली है. इसमें 14 हेक्टेयर सीसीएल के पजेशन में है, जबकि 139 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना भारत सरकार ने जारी की है. क्षेत्रीय प्रबंधन के अनुसार इस भूमि पर सेक्शन-11 मिल गया है. इसके अनुसार भारत सरकार ने इस जमीन को सीसीएल को सुपुर्द कर दिया है. शेष बचे 31 हेक्टेयर पर सेक्शन-7 मिल गया है. इसके अनुसार भारत सरकार की ओर से जमीन को सीसीएल को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है.
प्रक्रिया पूरी किये बिना नहीं होगा काम : रैयत विस्थापित मोर्चा
पिछरी कोलियरी रैयत विस्थापित मोर्चा का कहना है कि 19 दिसंबर 2013 को सीसीएल प्रबंधन ने पेटरवार सीओ को 500 बीघा जमीन मापी करने का आवेदन दिया था. अमीन की नापी के बाद 500 बीघा का दावा खारिज हो गया. इसके बाद सीओ ने काम करने पर रोक लगा दी. इसके बाद सीसीएल ने श्रीराम सिंह कंपनी की 34.34 डिसमिल जमीन का दावा पेश किया. एसडीओ बेरमो ने जांच में पाया कि 16.32 डिसमिल जमीन का ही कागजात सीसीएल जमा कर पाया है. एसडीओ ने अपने आदेश में लिखा कि मामले को सिविल न्यायालय का बताया. इसके बाद रैयतों ने सिविल कोर्ट में अपना दावा पेश किया. यह अभी न्यायालय में विचाराधीन है. मोर्चा नेताओं का कहना है कि सीसीएल प्रबंधन अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी किये बगैर प्रशासन व कुछ दलाल किस्म के नेताओं के दबाव से काम करवाना चाहता है जिसे नहीं होने दिया जायेगा.
रैयतों के सहयोग से होगा काम : महाप्रबंधक
ढोरी जीएम एमके अग्रवाल कहते हैं कि देश के विकास के लिए कोयला बहुत जरूरी है. आज कोयले की कमी के कारण कई पावर प्लांट बंद हो रहे हैं. इसलिए रैयत कोलियरी को चालू करने में सहयोग करें. कहा कि पिछरी कोलियरी को चालू करने के लिए सैकड़ों रैयतों के कागजात सत्यापन को अंचल कार्यालय पेटरवार भेजे गये हैं. सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होते ही रैयतों को नोटिस देकर आरआर पॉलिसी के तरह कार्रवाई शुरू की जायेगी. जिन रैयतों की दो एकड़ जमीन नहीं होगी वे सेटलमेंट करवाकर कागजात प्रबंधन को दे सकते हैं. प्रबंधन सभी के सहयोग से ही कोलियरी चालू करेगी.
पहले फेज में सालाना दस लाख टन का प्रपोजल
क्षेत्रीय प्रबंधन के अनुसार पहले फेज में पिछरी कोलियरी से सालाना 10 लाख टन कोयला खनन व 12 लाख घन मीटर टन ओबी रिमूवल का प्रपोजल बनाया गया. यह तीन साल के लिए होगा. इससे सालाना 30 लाख टन कोयले की निकासी होगी. टेंडर प्रकिया जल्द शुरू होगी. दूसरे फेज में 19 साल के लिए 190 लाख (18.99) टन कोयला खनन तथा 36.54 लाख घन मीटर टन ओबी रिमूवल का प्रपोजल है. इसके तहत सालाना अधिकतम 12 लाख टन उत्पादन होगा.
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