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दुंदीबाद के पुनर्वासन को कहां से आयेंगे 170 करोड़

बोकारो : बोकारो एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए दुंदीबाग बाजार को नया मोड़ बस स्टैंड में पुनर्स्थापित कराने की योजना में काफी पेंच हैं. इस वजह से बाजार को हटाकर दूसरे स्थान पर पुनर्स्थापित करना प्रशासन के लिए टेढी खीर से कम नहीं है. सबसे पहले नया मोड़ में बनने वाले दुंदीबाग के नये बाजार […]

बोकारो : बोकारो एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए दुंदीबाग बाजार को नया मोड़ बस स्टैंड में पुनर्स्थापित कराने की योजना में काफी पेंच हैं. इस वजह से बाजार को हटाकर दूसरे स्थान पर पुनर्स्थापित करना प्रशासन के लिए टेढी खीर से कम नहीं है. सबसे पहले नया मोड़ में बनने वाले दुंदीबाग के नये बाजार निर्माण के लिए फंड की आवश्यकता है, जो फिलहाल नहीं है.
जब तक सरकार के माध्यम से इस पर कोई कदम नहीं उठाया जाता है, तब तक यह कठिन है. दूसरा भूमि का पेंच है,भूमि बीएसएल की है. इसे लेना अभी बाकी है. योजना के मुताबिक नया मोड़ में बनने वाले नया मार्केट के डिजाइन के मुताबिक लगभग 170 करोड़ रुपये की आवश्यकता है. सरकार के पास इस कार्य के लिए इस बजट में कोई फंड नहीं है. प्रशासन के सामने यक्ष प्रश्न यह है कि आखिर मार्केट का निर्माण की राशि कहां से आयेगी?
बाजार का नक्शा व डिजाइन बनकर तैयार : नये दुंदीबाग बाजार का डिजाइन आदि बन चुका है. डिजाइन बना रही कंपनी डिवाइन ओरिएंटेड के अनुसार लोअर ग्राउंड फ्लोर के अलावा ग्राउंड फ्लोर होंगे. वहीं दो ऊपर के फलोर रहेंगे. बेसमेंट में पार्किंग की व्यवस्था रहेगी. इसके लिए कुल 11 एकड़ भूमि की आवश्यकता है.
लोन कराने के लिए हो चुका है विचार : जिला प्रशासन दुंदीबाग के सर्वे में आये सभी दुकानदारों के नाम से दुकान के अनुरूप लोन दिलाने की योजना तैयार किया है. इसके लिए एसबीआइ के रीजनल मैनेजर रंजीता शरण के साथ डीसी ने बैठक भी की. बैंक इतने दुकानदारों को किस आधार पर व लोन कैसे देगा. दुंदीबाद के कितने दुकानदार लोन लेकर नया दुकान लेना चाहते है. वह लोन लेने के योग्य है अथवा नहीं ? कई प्रश्न है जिसका उत्तर नहीं मिल रहा है.
दुंदीबाग के दुकानदारों का हो चुका है सर्वे : जिला प्रशासन ने एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए दुंदीबाग बाजार को हटाने से पूर्व दो बार सर्वे किया है. सर्वे में लगभग तीन हजार दुकानदारों के नाम शामिल है.
भूमि विवाद सुप्रीम कोर्ट में
सरकार व बीएसएल के बीच मालिकाना हक से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. कोर्ट ने सरकार व बीएसएल को आपस में मामले को सुलझाने का निर्देश दिया है. सरकार व बीएसएल के स्तर से कार्रवाई की जा रही है. बीएसएस सरकार को भूमि कितनी,कहां व कब वापस करता है, यह देखना है. फिलहाल सभी भूमि का मालिकाना हक बीएसएल का है. बीएसएल से बिना एनओसी लिए कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता है. हालांकि पुनर्वास इलाकों में जन कल्याण के कार्य के लिए बीएसएल एनओसी दे सकता है.

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