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यीशु ने सूली पर चढ़ कर दिया प्रेम व क्षमा का संदेश

बोकारो : प्रभु ईसा मसीह का बलिदान दिवस गुड फ्राइडे 30 मार्च को है. यह ईसाई समुदाय का प्रमुख त्योहार है. कहा जाता है कि आज के दिन ही प्रभु ईसा मसीह ने विरोध और यातना सहते हुए सूली पर चढ़ कर नि:स्वार्थ प्रेम और क्षमा का संदेश दिया था. उनके इसी बलिदान को याद […]

बोकारो : प्रभु ईसा मसीह का बलिदान दिवस गुड फ्राइडे 30 मार्च को है. यह ईसाई समुदाय का प्रमुख त्योहार है. कहा जाता है कि आज के दिन ही प्रभु ईसा मसीह ने विरोध और यातना सहते हुए सूली पर चढ़ कर नि:स्वार्थ प्रेम और क्षमा का संदेश दिया था. उनके इसी बलिदान को याद करने और उनके वचनों के माध्यम से इंसानियत की राह दिखाने वाले ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने का दिन है गुड फ्राइडे. इस दिन को पवित्र फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ईस्टर फ्राइडे भी कहते हैं.

इसी दिन ईसा मसीह को रोमन सैनिकों ने सूली पर लटका दिया था. इसके बाद उन्होंने प्राण त्याग दिया था. कहा जाता है कि ईसा मसीह को इस बात का एहसास पहले ही हो गया था, इसलिए गुड फ्राइडे के 40 दिन पहले ही उन्होंने व्रत शुरू कर दिया था. व्रत बुधवार से शुरू किया गया था, जिसे एश बुधवार यानी कि ‘राख बुधवार’ के नाम से जाना जाता है. गुड निर्दोष होने के बावजूद सूली पर लटकाये जाने के बाद भी ईसा मसीह ने किसी से शिकायत नहीं की थी. बस इतना ही कहा था कि ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करना, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं.’
एक अप्रैल को ईस्टर रविवार
गुड फ्राइडे को ईसा मसीह ने अपने प्राण त्याग दिये थे. यह दिन ईसाई समाज के लिए बेहद दुख वाला है. लेकिन, फिर भी इसे गुड फ्राइडे कहा जाता है. दरअसल, इसके पीछे की मान्यता यह है कि ईसा मसीह ने लोगों की भलाई के लिए अपने प्राण दिये थे. इसलिए यह दिन पवित्र माना जाता है. ईसाई समाज के लोग गुड फ्राइडे के दिन कोई सेलिब्रेशन नहीं करते. मौत के तीन दिन के बाद ईसा मसीह जीवित हो गये थे. लोगों में इस बात की खुशी थी. उस दिन को ईस्टर दिवस या ईस्टर रविवार मानते हैं. ईस्टर रविवार इस बार एक अप्रैल को है.
सिटी चर्च व संत मेरी चर्च में होगी प्रार्थना सभा
गुड फ्राइडे के मौके पर सेक्टर चार स्थित सिटी चर्च व संत मेरी चर्च में विशेष प्रार्थना सभा होगी. सुबह से शाम तक चर्च में विशेष प्रार्थना का दौर चलेगा, लेकिन दोपहर 12 से तीन बजे के बीच मुख्य रूप से कार्यक्रम होगा. कार्यक्रम के दौरान प्रभु यीशु के क्रूस पर दिये गये सात वचनों को याद किया जायेगा. सात अलग-अलग लोग सातों वचन पर विस्तार से प्रकाश डालेंगे. इस दिन मसीही समुदाय के लोग व्रत रखते हैं.

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