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स्वास्थ्य को लेकर सजग हैं रिटायर बीएसएल कर्मी
बोकारो: हम हमेशा स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं. 40-50 साल की उम्र तक हम प्राय: ऐसा जीवन जी भी लेते हैं. लेकिन 50 के बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, मुश्किलें भी बढ़ती जाती हैं. शोध कहते हैं कि इसकी मुख्य वजह होती है समय पर सेहत का पूरा खयाल न रखना. बुढ़ापे […]
बोकारो: हम हमेशा स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं. 40-50 साल की उम्र तक हम प्राय: ऐसा जीवन जी भी लेते हैं. लेकिन 50 के बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, मुश्किलें भी बढ़ती जाती हैं. शोध कहते हैं कि इसकी मुख्य वजह होती है समय पर सेहत का पूरा खयाल न रखना. बुढ़ापे में भी स्वस्थ और खुशहाल कैसे बना सकते हैं, इसका उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं बोकारो के बीएसएल से रिटायर कर्मी. रिटायर बीएसएल कर्मी अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग हैं.
सेक्टर-5 स्थित लाइब्रेरी मैदान, सेक्टर-1 स्थित संत जेवियर्स स्कूल ग्राउंड, सिटी पार्क, सेक्टर-3 स्थित ट्रेनिज मैदान में सुबह-सुबह घंटों पसीना बहाते मिल जाते हैं.
दिनचर्या पर ध्यान है जरूरी
आधुनिक दवा, उपकरण, जांच सुविधाएं व बीमारी के प्रति जागरूकता ने भारतीयों की जीवन दर बढ़ायी है. लेकिन, बुढ़ापे को पहले से कहीं अधिक बीमारियों ने घेरना शुरू कर दिया है. दिल का दौरा, डायबिटीज, आर्थराइटिस, सीओपीडी या सांस की बीमारियों का असर अब बढ़ गया है. बीमारियों की इस फौज से बचा जा सकता है, यदि समय रहते दिनचर्या पर ध्यान दिया जाये. वर्ष 2030 तक ग्लोबल बर्डन और डिसीस में भारतीयों की भागीदारी और बढ़ेगी. बीते एक दशक में युवाओं की दिनचर्या में बड़ा बदलाव आया है, जिसका असर आगामी दस साल में दिखने लग जायेगा. मतलब, अलार्म बज गया है. इसलिए स्वास्थ्य को लेकर सजग रहे.
बीमार हो रही युवा पीढ़ी
डॉक्टर्स तनाव को युवा वर्ग की लगभग सभी बीमारियों से जुड़ा मानते हैं. कहा जा सकता है कि तनाव और बीमारी का एक सर्किल काम करता है. सामान्यत: 24 से 25 साल की उम्र में एक अच्छे ओहदे पर नौकरी हासिल करने वाला सामान्य स्वस्थ्य युवक 35 साल तक नशे का शिकार हो जाते हैं. हर दूसरा युवक इसे लाइफ स्टाइल से जुड़ी जरूरत मानता है, जो तनाव का भी बड़ा कारण बनता है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, हर साल तनाव से एक लाख लोग आत्महत्या करते हैं. यह विश्वभर में होने वाली आत्महत्या का दस प्रतिशत है. मतलब, आज की युवा पीढ़ी अभी से ही बीमार होने लगी है. ऐसे में इनका बुढ़ापा क्या और कैसा होगा? इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि 80 प्रतिशत युवाओं की दिनचर्या भविष्य में उनके लिए बीमारी की वजह बनेगी. इसलिए हर दो से तीन महीने में स्वास्थ्य चेकअप कराये. व्यायाम व डायट चार्ट को फॉलो करें.
गांठ बांध लें ये पांच बातें
प्राथमिकता तय करें : बेहतर जीवन शैली के लिए हर दम सफलता के पीछे भागना जरूरी नहीं. जीवन की प्राथमिकताओं की सूची तैयार करें और उस पर खरे उतरने के लिए अपनी क्षमताओं का आकलन करें.
खुश रहें : बुजुर्गों में खुश रहने की इच्छा बढ़ी है, वहीं युवा इससे दूर हो रहे हैं. इसलिए आप भी खुश रहें. अब यह सोच लें कि जितना मिला, वह बहुत था. इससे मन प्रसन्न रहेगा.
पौष्टिक आहार : पौष्टिक खाने को नजरअंदाज करने का सीधा मतलब भविष्य की बीमारियों के लिए खुद नींव खोदना है. फाइबर युक्त खाना स्वस्थ्य रहने की कुंजी है.
सामाजिक बने : शहर में रह कर एकांकी जीवन जीने वाले युवा अक्सर नशे और मानसिक रोगों का शिकार हो जाते हैं. इसलिए अपनी परेशानियां दूसरों से शेयर करें. सामाजिक बने.
समय प्रबंधन : बेतरतीब जिदंगी उलझनें बढ़ाती है. समय पर किये गये काम आपको तनाव से बचाते हैं. समय पर स्वास्थ्य जांच न करा पाने की अहम वजह समय की कमी ही अधिकतर लोग बताते हैं.
बेहाल बुजुर्ग मुख्य समस्याएं
82 प्रतिशत- कमर दर्द
40 प्रतिशत- आर्थराइटिस
18 प्रतिशत- डायबिटीज
15 प्रतिशत – दिल की बीमारी
25 प्रतिशत- रेस्पेरेटरी समस्या
12 प्रतिशत- आंखों की कम रोशनी.
केस स्टडी-1
दिन : मंगलवार. समय : सुबह 6.00 बजे. स्थान : पुस्तकालय मैदान सेक्टर-5. बोकारो स्टील प्लांट से वर्ष 2015 में डिप्टी मैनेजर के पद से रिटायर रंजीत कुमार सिन्हा टहलते हुए मिले. उन्होेंने बताया कि टहलने से दिन भर काफी आराम मिलता है. सांस की थोड़ी बीमारी है. कभी-कभी इन्हेलर लेना पड़ता है. लेकिन, सुबह-सुबह टहलने से इन्हेलर नहीं लेना पड़ता है. जिस दिन किसी कारण सुबह नहीं टहल पाता हूं, उस दिन दोपहर होते-होते दो-तीन बार इन्हेलर लेना पड़ जाता है. सुबह-सुबह टहलने में बहुत आनंद मिलता है. ताजा हवा मिलता है. शरीर फीट रहता है. सांस की बीमारी दिन में परेशान नहीं करती है.
केस स्टडी-2
दिन : मंगलवार. समय : सुबह 6.30 बजे. स्थान : संत जेविर्स स्कूल ग्राउंड सेक्टर-1. बोकारो स्टील प्लांट से वर्ष 2014 में असिस्टेंट मैनेजर के पद से रिटायर राम आगर सिंह ने बताया कि 12 वर्ष से नियमित रूप से सुबह-सुबह टहल रहा हूं. 20 वर्ष से अधिक समय से नियमित रूप से योगा भी कर रहा हूं. इसका परिणाम है कि अभी कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं है. सुबह-सुबह टहलने व योगा करने के बाद दिन भर काम भी करता हूं. किसी तरह की कोई थकावट नहीं होती है. हां, जिस दिन सुबह नहीं टहल पाता हूं और संयोग से कुछ देर भी योगा नहीं करता हूं, उस दिन बहुत परेशानी होती है. हेल्थ इज वेल्थ. इसलिए स्वास्थ्य के साथ कोई खिलवाड़ नहीं करता हूं.
केस स्टडी-3
दिन : मंगलवार. समय : सुबह 7.30 बजे. स्थान : पत्थरकट्टा चौक सेक्टर-1. बोकारो स्टील प्लांट से वर्ष 2012 में असिस्टेंट मैनेजर के पद से रिटायर एसके सिंह ने बताया कि 20 वर्ष से नियमित रूप से टहल रहा हूं. किसी तरह की कोई बीमारी या समस्या नहीं है. जिस दिन सुबह टहलने नहीं निकल पाता हूं, उस दिन काफी बेचैनी हो जाती है. रिटायरमेंट के बाद लोगों को अपने स्वास्थ्य पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है. सुबह-सुबह टहलने और कुछ देर योगा के लिए समय निकालना चाहिए. इससे एक ओर जहां शरीर स्वस्थ रहेगा, वहीं दूसरी ओर दिन भर चुस्ती-फुर्ती बनी रहेगी. इसलिए इसे दिनचर्या में शामिल करने की जरूरत है. स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है.
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