चास: समाज व राष्ट्र को विकसित करने के लिए स्वरोजगार को बढ़ावा देना होगा. स्वरोजगार को बढ़ावा देकर ही ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन दूर करना संभव है. ग्रामीणों के बीच लघु व कुटीर उद्योग स्थापित करने के लिए जागरूकता पैदा करने की जरूरत है. उल्लासपूर्ण वातावरण में ही ग्रामीण लघु व कुटीर उद्योग व्यवसाय से जुड़ सकेंगे.
यह कहना है जिला सहकारिता पदाधिकारी मंजू विभावरी का. वह मंगलवार को चास प्रखंड परिसर स्थित सांस्कृतिक भवन में मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड की ओर से आयोजित कार्यशाला में बोल रही थी. श्रीमती विभावरी ने कहा कि वर्तमान सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं. इन योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए पैक्स संचालक व स्वयं सहायता समूहों की सक्रियता की जरूरत है, ताकि अधिकाधिक ग्रामीण लघु व कुटीर उद्योग के कारोबार से जुड़ सकें.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को किया जायेगा सशक्त : झांफकोफेड के एमडी राजकुमार प्रसाद ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को हर हाल में मजबूत किया जायेगा. योजना के तहत आगामी तीन वर्षों में चरणबद्ध तरीके से छोटे-छोटे घरेलू एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना की जायेगी. इसमें ग्रामीण किसानों के उत्पाद को परिष्कृत रूप में बिक्री कर उन्हें 20 से 30 फीसदी फायदा पहुंचाने की कोशिश होगी. कहा कि ग्रामीण ओद्योगिकीकरण से कृषि, व्यवसाय, परिवहन एवं अन्य आर्थिक गतिविधियों में ग्रामीण स्तर पर बढ़ोतरी की संभावनाएं प्रबल होंगी. इससे ग्रामीण विकास को नयी दिशा दी जा सकेगी. मौके पर सहायक निबंधक चास नमिता कुमारी, सहायक निबंधक बेरमो देवनारायण रविदास, बीसीइओ अंजनी प्रसाद, महेंद्र नारायण सिंह, रामायण सिंह, अरविंद सिंह, मनोज कुमार मिश्रा, बबलू यादव, शंभु शरण, राणा प्रताप सिंह सहित पैक्स के अध्यक्ष व प्रबंधक मौजूद थे.