सबसे पहला केस दहेज प्रताड़ना का दर्ज होता है. दूसरा केस घरेलू हिंसा, तीसरा केस मेंटेनेंस सूट, चौथा केस बच्चा अपने पास रखने का और पांचवा केस तलाक का होता है. बोकारो न्यायालय के मध्यस्थता केंद्र में आठ मध्यस्थ सह अधिवक्ता को इस तरह के मामलों को सुलझाने की जिम्मेवारी दी गयी है. प्रत्येक मध्यस्थ के पास प्रत्येक माह 15 से 20 नये मामले आते हैं. पति-पत्नी के बीच चल रहे इन विवाद के मामलों को अधिकतम 90 दिनों में समझौता करना होता है. तय सीमा के भीतर अगर समझौता नहीं हुआ तो फिर मामला कोर्ट में चल जाता है.
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फैमिली कोर्ट में बढ़ रहे पारिवारिक विवाद के मामले, सात माह नहीं चल रहा सात जन्मों का रिश्ता
बोकारो: बोकारो में पारिवारिक विवाद के मामले बढ़ रहे हैं. विगत छह माह में बोकारो फैमिली कोर्ट में पारिवारिक विवाद के 372 मामले दर्ज हो चुके हैं. जबकि वर्ष 2016 में 512 मामले दर्ज हुए थे. सात जन्मों का रिश्ता कहा जाने वाला शादी का बंधन अब सात माह तक भी कायम नहीं रह पा […]
बोकारो: बोकारो में पारिवारिक विवाद के मामले बढ़ रहे हैं. विगत छह माह में बोकारो फैमिली कोर्ट में पारिवारिक विवाद के 372 मामले दर्ज हो चुके हैं. जबकि वर्ष 2016 में 512 मामले दर्ज हुए थे. सात जन्मों का रिश्ता कहा जाने वाला शादी का बंधन अब सात माह तक भी कायम नहीं रह पा रहा है और मामला कोर्ट तक चला जाता है.
रिश्तों को बचाने में लगा है मध्यस्थता केंद्र : फैमिली कोर्ट में बढ़ रहे पारिवारिक विवाद व टूट रहे रिश्तों को जोड़े रखने के लिए फैमिली कोर्ट में एक मध्यस्थता केंद्र की स्थापना की गयी है. न्यायालय में दर्ज होने वाले लगभग 75 प्रतिशत केस पारिवारिक विवाद से जुड़े होते हैं. इसके कारण फैमिली कोर्ट का प्रयास रहता है कि दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज होते ही मध्यस्थता केंद्र के माध्यम से टूट रहे रिश्तों को जोड़ कर विवाद खत्म किया जा सके. इससे न्यायालय में लगातार बढ़ रहे लंबित केस की संख्या में भी कमी आयेगी. फैमिली कोर्ट में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे अधिवक्ताओं का कहना है कि पति-पत्नी के विवाद का एक मामला अगर नहीं सुलझा तो पांच केस दर्ज होते हैं.
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