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ट्रैफिकिंग के खिलाफ सख्त कानून बनाएं मुख्यमंत्री : कैलाश सत्यार्थी

रांची : नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित व बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बचपन सुरक्षित करना राष्ट्रीय चुनौती है़. समाज की जिम्मेवारी है़. हमारा बचपन सुरक्षित रहे, इसके लिए ईमानदारी से सेवा करने की जरूरत है़. नये भारत, शिक्षित भारत व संपन्न भारत का निर्माण तभी होगा, जब हमारे बच्चे […]

रांची : नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित व बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बचपन सुरक्षित करना राष्ट्रीय चुनौती है़. समाज की जिम्मेवारी है़. हमारा बचपन सुरक्षित रहे, इसके लिए ईमानदारी से सेवा करने की जरूरत है़. नये भारत, शिक्षित भारत व संपन्न भारत का निर्माण तभी होगा, जब हमारे बच्चे सुरक्षित होंगे़. सुरक्षित भारत का निर्माण करना है, तो बचपन सुरक्षित करना होगा़. आज देश-दुनिया में बच्चों को आतंकवाद, अलगाववाद व नक्सलवाद का जहर पिलाया जा रहा है़. यह रोग फैल रहा है़. बच्चों को शिक्षित कर इसे रोका जा सकता है़. आज ज्ञान ही ताकत है़ एक समय था जब जमीन व बंदूक ताकत हुआ करती थी़. आज डिजिटल पावर का जमाना है़. सूचनाओं का आदान-प्रदान ही ताकत है़. इस ज्ञान की ताकत के दौर में दुनिया में 26 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं गये़. सत्यार्थी मंगलवार को विधानसभा की ओर से प्रोजेक्ट भवन सभागार में आयोजित सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत विषय पर व्याख्यान दे रहे थे़. मौके पर राज्यपाल द्रौपदी मुरमू, मुख्यमंत्री रघुवर दास, स्पीकर दिनेश उरांव, संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय सहित सरकार के मंत्री, विधायक व पदाधिकारी मौजूद थे़

सत्यार्थी ने कहा कि भारत की धरती सौ समस्याओं की धरती हो सकती है, लेकिन यही भारत एक अरब समाधानों की मां भी है़. हर किसी के पास वेदना है़. हालात बदलने का समाधान है़. हमें संवेदनाओं के साथ काम में जुटना होगा़. उन्होंने कहा कि मुझे नोबेल पुरस्कार मिला, इसका श्रेय झारखंड को जाता है़. झारखंड की धरती पर वर्षों पहले बचपन बचाने के लिए बस, रेल और मोटरसाइकिल से नहीं घूमा होता, तो आज यह सम्मान नहीं मिला होता. नगर ऊंटारी से लेकर गिरिडीह-कोडरमा के दूरदराज के बच्चों के लिए काम करते हुए प्रेरणा मिली़ झारखंड की धरती, जंगल व पहाड़ों से प्रेरणा मिली़ नोबेल पुरस्कार विजेता सत्यार्थी ने कहा कि एमएलए-एमपी केवल जनप्रतिनिधि नहीं है़ं. वो आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिनिधित्व करते है़ं. उन्हें आगे आना होगा़. राजनीति सामूहिक नैतिकता है़. सपने, आकांक्षाएं और नैतिकता नहीं टूटने चाहिए़ बच्चों व बूढ़ों की वेदना, उनकी वेदना और करुणा से भरी आंखों के प्रतिनिधि है़ं. सत्यर्थी ने कहा कि लोग कहते हैं कि आपने तो बड़ी चीज हासिल कर ली़. नोबेल पुरस्कार मिल गया़. अब क्या है़. मैं उनसे कहता हूं कि यह मेरी जिंदगी की इबारत का कॉमा भर है़ फुल स्टॉप तो तब आयेगा, जब दुनिया के बच्चे आजाद होंगे़. पढ़ेंगे व दासता से मुक्त होकर आगे बढ़ेंगे़.

आज हमारी बच्चियां असुरक्षित हैं
सत्यार्थी ने चिंता जतायी कि आज हमारी बच्चियां असुरक्षित है़ं. यौन अत्याचार की शिकार हो रही है़ं. दो वर्ष, 10 वर्ष की बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहा है़. यह दुर्गा का देश है, देवी की हम शक्ति के रूप में आराधना करते है़. हमारा बचपन असुरक्षित है़. हर एक मिनट में चार बेटी-बेटियां मृत्यु के निवाले बन रहे है़ं. बच्चियों की सुरक्षा को लेकर मां-बाप, चाचा-चाची, भाई और समाज डरा हुआ है़. पास-पड़ोस, बस यहां तक की लिफ्ट भी सुरक्षित नहीं है़. एक तल्ले से सातवें तल्ले तक मां अकेले बेटियों को लिफ्ट मेें जाने नहीं दे रही है. यह समाज का चिंता भाव है़. उन्होंने कहा कि जहां बचपन सुरक्षित है, वहीं बदलाव आये है़ं. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि ट्रैफिकिंग को लेकर सख्त कानून बने़ समय पर मामले की सुनवाई हो और सरकार पुनर्वास की व्यवस्था करे़. उन्होंने ट्रैफिकिंग के मामले में तत्काल राहत देने के लिए एक कोष बनाने की भी बात कही़. इसके साथ ही प्लेसमेंट एजेंसी को लेकर कानून बनाने का आग्रह किया़. उन्होंने राज्य सरकार से 500 गांवों में बाल मित्र के गठन में सहयोग का आग्रह किया़.

झारखंड को सिरमौर बनाना है, तो स्थिति बदलनी होगी
झारखंड की नदियां, खनिज और लोगों की सादगी हमें ताकत देती है़. झारखंड को सिरमौर बनाना है, तो स्थिति बदलनी होगी. उस ताकत को पहचाना होगा़. उन्होंने कहा कि कि लोग कहते हैं कि गरीबी के कारण बाल मजदूरी है. मैं मानता हूं कि बाल मजदूरी, गरीबी और अशिक्षा त्रिकोण है़. 17 करोड़ बच्चे बाल मजदूर हैं, तो 26 करोड़ वयस्क बेरोजगार है़ं. एक बाल मजदूर एक वयस्क के बेरोजगार होने का कारण है़. मां-बाप बेरोजगार हैं, तो बच्चे को काम पर लगा दिया है़.

140 देशों में कर रहे हैं काम
बचपन बचाओ अभियान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 140 देशों में वह काम कर रहे है़ंं. जब एक बच्चा मुक्त होता है, तो लगता है जैसे मैं मुक्त हो रहा हूं. झूठ, पाखंड से मुक्त हो रहे है़ं. बच्चे में आजादी की पहली मुस्कान में ईश्वर का दर्शन होता है़. ईश्वर की झलक मिलती है़. मां-बाप के ढलकते आंसू में ईश्वर की झलक मिलती है़. नोबेल पुरस्कार विजेता सत्यार्थी के व्याख्यान सुनने मंत्री नीरा यादव, लुइस मरांडी, विधायक आलमगीर आलम, स्टीफन मरांडी, मनोज यादव, विरंची नारायण, ताला मरांडी, अनंत ओझा, राज सिन्हा, जयप्रकाश भाई पटेल, मुख्य सचिव राजबाला वर्मा सहित कई गणमान्य पहुंचे थे़. समारोह में राज्यपाल द्रौपदी मुरमू, मुख्यमंत्री रघुवर दास, स्पीकर दिनेश उरांव व संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय ने भी अपने विचार रखे़ समारोह में कैलाश सत्यार्थी की धर्मपत्नी सुमेघा सत्यार्थी को भी सम्मानित किया गया़.

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