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हाइकोर्ट से कंपनियों की याचिकाएं खारिज डीटीएच पर 10%टैक्स

रांची: डीटीएच कंपनियों को अब मासिक शुल्क (सब्सक्रिप्शन) पर 10 प्रतिशत मनोरंजन टैक्स देना होगा. बिना टैक्स दिये ही कंपनियां उपभोक्ताओं को डीटीएच के माध्यम से विभिन्न चैनलों का प्रसारण दिखाने की सुविधा देती थी. हालांकि, उपभोक्ताओं से चैनलों का प्रसारण देखने के लिए शुल्क लिया जाता था, लेकिन इसका लाभ राज्य सरकार को नहीं […]

रांची: डीटीएच कंपनियों को अब मासिक शुल्क (सब्सक्रिप्शन) पर 10 प्रतिशत मनोरंजन टैक्स देना होगा. बिना टैक्स दिये ही कंपनियां उपभोक्ताओं को डीटीएच के माध्यम से विभिन्न चैनलों का प्रसारण दिखाने की सुविधा देती थी.

हालांकि, उपभोक्ताओं से चैनलों का प्रसारण देखने के लिए शुल्क लिया जाता था, लेकिन इसका लाभ राज्य सरकार को नहीं मिल पा रहा था. अब राज्य सरकार डीटीएच (डायरेक्ट-टू-होम) सर्विस देनेवाली कंपनियों से करोड़ों रुपये मनोरंजन टैक्स के रूप में वसूल करेगी. यह अवसर झारखंड हाइकोर्ट द्वारा गुरुवार को सुनाये गये एक फैसले से संभव हो सका है. झारखंड मनोरंजन टैक्स एक्ट-2012 को चुनौती देनेवाली विभिन्न याचिकाओं को हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया.

चीफ जस्टिस आर भानुमति व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए केबल ऑपरेटर व डीटीएच के लिए एक समान टैक्स तय करने का निर्देश देने के आग्रह को भी खारिज कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि सेट टॉप बॉक्स, छतरी आदि लगाने पर मनोरंजन टैक्स नहीं लगेगा. सिर्फ सब्सक्रिप्शन शुल्क पर ही टैक्स लिया जा सकेगा.

केबल ऑपरेटर 7.50 प्रतिशत टैक्स सरकार को देते रहेंगे. सरकार की ओर से अधिवक्ता अनुभा रावत चौधरी व अन्य ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी टाटा स्काइ लिमिटेड, भारती टेली मीडिया लिमिटेड, भारत बिजनेस चैनल, डिश टीवी इंडिया व रिलायंस बिग टीवी लिमिटेड की ओर से अलग-अलग याचिका दायर कर राज्य सरकार के मनोरंजन टैक्स वसूलने के निर्णय को चुनौती दी गयी थी.

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