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तबादला उद्योग: कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते एसपी

रांची: पलामू में 13 सालों में 16 एसपी का बदले गये हैं. यह हाल अन्य जिलों का भी है. झारखंड गठन के बाद लातेहार में 15, गुमला में 13, गिरिडीह व चतरा में 12-12, चाईबासा में 10 और लोहरदगा में नौ एसपी बदले गये. सबसे खराब स्थित तो खूंटी जिले की है. खूंटी में (जिला […]

रांची: पलामू में 13 सालों में 16 एसपी का बदले गये हैं. यह हाल अन्य जिलों का भी है. झारखंड गठन के बाद लातेहार में 15, गुमला में 13, गिरिडीह व चतरा में 12-12, चाईबासा में 10 और लोहरदगा में नौ एसपी बदले गये. सबसे खराब स्थित तो खूंटी जिले की है. खूंटी में (जिला बनने के छह साल में) अब तक आठ एसपी बदले जा चुके हैं. झारखंड के ये सभी जिले नक्सल प्रभावित हैं. इन जिलों में नक्सलियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाये जाते हैं. इतने कम समय में एसपी के तबादले से अभियान पर असर पड़ रहा है.

झारखंड के कुछ जिलों को कमाईवाला माना जाता है. इनमें धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर आदि जिले आते हैं. इन जिलों में भी एसपी नहीं टिकते. राज्य बनने के बाद से धनबाद में 12, बोकारो में 11, जमशेदपुर में 10, हजारीबाग में आठ, रामगढ़ में (छह साल में) छह एसपी बदल चुके हैं.

इन आंकड़ों से यह साफ होता है कि झारखंड में एसपी रैंक के आइपीएस नक्सल क्षेत्र में काम करना नहीं चाहते. इन जिलों से जल्द से जल्द तबादला करवा लेते हैं. वहीं कमाईवाले जिलों में पदस्थापित होनेवाले एसपी भी चैन से नहीं रह पाते. दूसरे आइपीएस किसी तरह उन्हें हटवा कर खुद इन जिलों में पहुंच जाते हैं. इन सबके बीच यह भी सच है कि राज्य में कई ईमानदार आइपीएस भी हैं, जो मलाईदार जिलों में भी रहें और अवैध कारोबार को पूरी तरह बंद करवाया. इसका खमियाजा उन्हें तबादले के रूप में मिला.

.. अपवाद भी

– बोकारो जिले में प्रिया दुबे और कुलदीप द्विवेदी के अलावा कोई भी एसपी दो साल पूरा नहीं कर सके.

– धनबाद में एसपी रविकांत धान को छोड़ कोई भी एसपी दो साल पुरा नहीं कर सके

– रामगढ़ में दो साल पूरा करनेवाले एसपी अमोल वेणुकांत होमकर व अनीस गुप्ता हैं

– सरायकेला जिले में लक्ष्मण प्रसाद सिंह व अभिषेक, हजारीबाग में प्रवीण कुमार सिंह व पंकज कंबोज, पाकुड़ में संपत मीणा और मो नेहाल, जमशेदपुर में नवीन कुमार सिंह व अखिलेश झा और चाईबासा में नवीन कुमार सिंह व सुधीर कुमार झा ही दो साल का कार्यकाल पूरा कर सके.

सीनियर अफसर भी नहीं अड़ते
पुलिस रिफॉर्म लागू होने के बाद आइपीएस के तबादले के लिए पुलिस मुख्यालय में डीजीपी की अध्यक्षता में पुलिस एस्टेब्लिसमेंट बोर्ड (पीइबी) गठित है. इस बोर्ड की अनुशंसा के बिना कोई भी तबादला नहीं हो सकता. इसका प्रावधान इसलिए किया गया था कि सरकार अपनी मरजी से अफसरों का तबादला नहीं कर सके. लेकिन सीनियर अफसरों के स्तर से कोई विरोध नहीं होने के कारण सरकार अब भी अपनी मरजी से जब-तब तबादला कर रही है.

इसलिए होते हैं समय पूर्व तबादले
60%मामलों में सरकार अपनी सुविधा के अनुसार कभी किसी मंत्री-विधायक के दबाव में, तो कभी निजी लाभ के लिए कानून- व्यवस्था का बहाना बना कर एसपी को बदलती है

40%मामलों में समय पूर्व तबादले के लिए आइपीएस खुद जिम्मेदार हैं. कई आइपीएस कमाईवाले जिले में एसपी बनने के लिए हर चीज करने को तैयार रहते हैं. कई सिर्फ इसलिए तबादला करवा लेते हैं, ताकि उन्हें नक्सल प्रभावित इलाके में काम नहीं करना पड़े

क्या है नियम
पुलिस विभाग में फिल्ड अफसरों का कार्यकाल दो साल तय है. थानेदार की तरह ही एसपी भी फिल्ड अफसर हैं. पहले एसपी का कार्यकाल तीन साल का होता था. पुलिस रिफॉर्म लागू होने ( 2007 से) के बाद एसपी का कार्यकाल न्यूनतम दो साल तय हो गया है. झारखंड सरकार इस बारे में अधिसूचना जारी कर चुकी है. प्रकाश सिंह बनाम राज्य सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दाखिल कर चुकी है. पर इस नियम का कभी पालन नहीं किया जाता.

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