-सुरजीत सिंह-
रांचीः हाल के दिनों में झारखंड की ट्रेनों में आपराधिक घटनाएं बढ़ी हैं. इससे साबित होता है कि रेल यात्रियों को पर्याप्त सुरक्षा दे पाने में आरपीएफ और जीआरपी के जवान विफल रहे हैं. राज्य की सीमा में आनेवाले 292 रेलवे स्टेशनों में से आधे से अधिक (करीब 150) स्टेशन नक्सल प्रभावित इलाकों में हैं. नक्सलियों से पुलिस को भी खतरा है, इस लिए पुलिस ट्रेनों का स्कॉट नहीं करती. सिर्फ बड़े स्टेशन पर ट्रेनों में जांच की जाती है.
पुलिस की अनुपस्थिति में अपराधी चलती ट्रेनों में लूट और डकैती की घटनाएं अंजाम देकर आसानी से निकल जाते हैं. पुलिस को इन घटनाओं की जानकारी तब मिलती है, जब ट्रेन अगली स्टेशन पर रुकती है. ऐसे मामलों में पुलिस की कार्रवाई भी सिर्फ प्राथमिकी दर्ज करने तक ही सीमित रहती है.
ट्रेनों में नहीं चलती फोर्स
यात्रियों की सुरक्षा को लेकर ट्रेनों के साथ पुलिस टीम तैनात किये जाने का नियम है, लेकिन झारखंड में कुछ ट्रेनों में ही फोर्स तैनात की जाती है. नक्सली खतरे के कारण पुलिस ट्रेन में नहीं तैनात की जाती.
इन रेल लाइनों पर नहीं चलती पुलिस
-बरवाडीह रेलवे लाइन पर
-हटिया-चक्रधरपुर रेलवे लाइन पर