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मुख्यमंत्री कब तक किस हद तक!

-हरिवंश- मुख्यमंत्री, झारखंड, मधु कोड़ा जी! 25 मई को अगर आप रांची रहे होंगे और प्रभात खबर पर नजर डाली होगी, तो सबसे ऊपर एक तसवीर पर नजर गयी होगी. तसवीर (पहले पेज पर) है, बैडमिंटन खेलते आपके सहयोगी मंत्री हरिनारायण राय की.यह चित्र देख कर, हरिनारायण राय की एक और छवि याद आ गयी. […]

-हरिवंश-

मुख्यमंत्री, झारखंड, मधु कोड़ा जी! 25 मई को अगर आप रांची रहे होंगे और प्रभात खबर पर नजर डाली होगी, तो सबसे ऊपर एक तसवीर पर नजर गयी होगी. तसवीर (पहले पेज पर) है, बैडमिंटन खेलते आपके सहयोगी मंत्री हरिनारायण राय की.यह चित्र देख कर, हरिनारायण राय की एक और छवि याद आ गयी. वह विधायक बन कर रांची आये थे. किसी मामूली होटल में ठहरे थे. रात को अचानक कांग्रेस और भाजपा के लोगों ने उनके होटल में धावा बोल दिया. समर्थन मांगने के लिए.

उस वक्त की उनकी तसवीर अगले दिन अखबारों में छपी. उस वक्त चेहरा पहली बार देखा. तसवीर से ही हाव-भाव और लिफाफे का मजमून समझ में आ गया. तब नहीं जानता था कि वह बैडमिंटन भी खेलते रहे हैं. बहरहाल, पैसा और पावर आदमी को बदलता है. उसकी बॉडी लैंग्वेज, हाव-भाव और मन बदलते हैं. कल्चर बदलता है. गांव-देहात की हवा खाये आदमी को शहर की हवा, सुख-सुविधा, ऊपर से राजशाही ठाट-बाट आदमी को बदलते हैं. वह कबड्डी, फुटबॉल वगैरह को गंवई मान कर गोल्फ खेलने लगता है. लाखों का सनग्लास (धूप चश्मा) पहनता है.

शायद अपने ‘कलिग्स’ (सहयोगी मंत्रियों) में आये इन बदलावों को आप मुझसे ज्यादा जानते-महसूसते हैं. पर विषय से भटक गया. आप अपने कलिग्स में आये बदलावों के बारे में कितना जानते-समझते हैं, यह प्रसंग उठाना मकसद नहीं है.

सूचना है कि आपने अपने सहयोगी मंत्री हरिनारायण राय को परामर्श के लिए बुलाया था. उन्होंने आपको सूचना दी कि वह अस्वस्थ हैं. पर उस दिन वह अस्वस्थ होते हुए भी अपने घर पर बैडमिंटन खेल रहे थे. कितना अच्छा होता, आपके और आपके ऐसे मंत्री जी के इस राज (शासन) में, झारखंड का हर बीमार आदमी बैडमिंटन खेलता. पर हमारा कंसर्न (चिंता) यह भी नहीं है.
गंभीर चिंता का विषय है, मुख्यमंत्री पद, उसकी गरिमा, मर्यादा, महत्व और प्रतिष्ठा! यह भी सूचना है कि 21 मई की कैबिनेट बैठक आपको अंतिम क्षण कैंसिल करनी पड़ी, क्योंकि कोई मंत्री नहीं आया! मेरी स्मृति में देश में शायद ही कहीं ऐसा हुआ हो कि मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की बैठक बुलायी और उसमें मंत्री नहीं आये और बैठक स्थगित करनी पड़े.
यह अपुष्ट सूचना है कि आपके एक सहयोगी मंत्री चाहते हैं कि तत्काल आप उनके सचिव बदल दें. उक्त सचिव को रिटायर होने में दो-एक महीने हैं. चर्चा है कि आप हिचकिचा कर रहे हैं. इसलिए कैबिनेट बहिष्कार या आपकी बैठक में न जाने का अघोषित अभियान चल रहा है. मंत्री, यूनियन की तरह गोलबंद हैं या हो रहे हैं.
आपके राजनीतिक सलाहकार आपको बताते होंगे कि चिंता न करें, सब लाइन पर आ जायेंगे. आपको ‘निर्दल मुख्यमंत्री’ का ऐतिहासिक रिकार्ड बनाना है. ‘लिम्का बुक’ में अपना ही रिकार्ड तोड़ना है. शायद आपके राजनीतिक सलाहकारों को मुख्यमंत्री पद की संवैधानिक और पारंपरिक मर्यादा की न जानकारी है, न वे जानना-समझना चाहते होंगे. वे तो आपके पद की आभा में जगमगा रहे हैं और उस जगमगाहट-सुख-शानोशौकत को स्थायी बनाने की जुगत में हैं. अपनी योग्यता और क्षमता से तो आपके राजनीतिक सलाहकार अपने बूते वहां कभी नहीं पहुंचेंगे, जहां आज हैं. इसलिए वे अपना पद और अवसर खोने के भय से आपको सच और साफ सुझाव नहीं देते.
अगर आप इसी तरह समर्पण करते रहेंगे, साथियों के सहयोगी दलों के आगे घुटने टेकते रहेंगे, तो आप कैसे याद किये जायेंगे? कोई लिम्का बुक या निर्दल मुख्यमंत्री का रिकार्ड, कोट नहीं करेगा. आप यह भी याद कर लीजिए कि आपका कोई सहयोगी दल भी आपकी सरकार नहीं गिराता, तो भी आपकी सरकार की उम्र और एक साल नौ महीने 10 दिन होगी. यह तो आप भी मानेंगे कि आप आजीवन इस पद पर नहीं रहनेवाले.
पर आप और आपकी सरकार, देश में सबसे अशासित, अराजक और संवैधानिक मर्यादा के भंजक के रूप में याद किये जायेंगे. आप और आपकी सरकार जीते जी ‘विशेषण’ में तब्दील हो जायेंगे. मंत्रिमंडल की बैठक का बहिष्कार! मुख्यमंत्री की बैठक का मंत्री द्वारा बहिष्कार! किस ‘राजनीतिक संस्कृति’ की बुनियाद डाल रहे हैं आप? कर्नाटक के चुनाव रिजल्ट शायद आपने देखा हो. भाजपा को वहां यह ‘विजयश्री’ कतई नहीं मिली होती, यदि कांग्रेस ने पहले गंठबंधन कर धर्म सिंह को मुख्यमंत्री न बनाया होता. धर्म सिंह हार भी गये. जनता दल (देवगौड़ा) को कांग्रेस ने सत्ता स्वाद दिलाया, फिर जनता दल (देवगौड़ा) ने भाजपा के साथ राज किया. पुन: भाजपा को दगा दिया. सहानुभूति भाजपा के साथ हो गयी और कर्नाटक में यूपीए का ‘रेनबो कोलिशन’ भहरा गया.
झारखंड में भी लगभग साफ हो चुकी और विश्वसनीयता खो चुकी भाजपा को आपकी सरकार अपनी ऐसी ही कार्यसंस्कृति और कामों से जीवनदान दे रही है.
क्या मुख्यमंत्री रहते हुए, इस पद की गरिमा बचाने के लिए आप कोई कदम नहीं उठा सकते? कब तक और किस हद तक मुख्यमंत्री पद के सम्मान के साथ समझौता होगा? आप कौन सी परंपरा डाल रहे हैं?
आपने दबाव में जमशेदपुर के डीसी का आधी रात में तबादला किया, तो आपको मंत्री की इच्छानुसार सचिव को भी बदलना ही होगा? भले ही सचिव के रिटायर होने में एक दिन हो या दो महीने? आपने अपने ऐसे ही घुटने टेक समझौतों से राज्य में अन्य 11 सुपर मुख्यमंत्री तैयार कर लिये हैं. आपके मंत्री अब मंत्री नहीं रह गये हैं, वे खुद को सुपर मुख्यमंत्री मानते हैं. आप इसलिए भी याद किये जायेंगे?
क्या आपको और आपके मंत्रियों को भान है कि राज्य कहां पहुंच गया है? दिन में, सबसे व्यस्त सड़क से पांच करोड़ और सोने की ईंट लूट ली जाये और आपकी सरकार पता न लगा सके? आपकी सरकार के एक मंत्री के सचिव पर आरोप है कि उन्होंने एक अपराधी को रिम्स में सुविधाएं दिलायीं, फिर अपराधी फरार हो गया. आपकी सरकार पर आरोप है कि उसके कार्यकाल में पिछले डेढ़ साल में 28 अपराधियों को फरार कराया गया या वे हो गये? आपके सरकार पर ताजा आरोप नरेगा जैसे गरीबों के कार्यक्रम में घोटाले और अव्यवस्था का है. ज्यां द्रेज और उनकी टीम ने यह व्यवस्था पकड़ी है, जिस पर कोई सवाल ही खड़ा नहीं कर सकता. झारखंड में ईमानदार ललित मेहता की हत्या यही बताती है कि ईमानदारी को हमने राज्य के सामाजिक जीवन से विदा कर दिया है.
कभी आपके मंत्री, आपको कहते हैं कि इस अराजक स्थिति पर कैबिनेट बैठक हो? विचार हो और कदम उठाये जायें? क्या पांच करोड़ की इस लूट या रिम्स से अपराधी के निकल भागने का दायित्व आप और आपकी सरकार पर नहीं है? आप भूल जायें विपक्ष को? आलोचकों को? आप इन सवालों के जवाब कभी अकेले में अपनी अंतरात्मा से पूछें, आपको सही जवाब मिलेंगे. आपकी टीम खुद से यह भी सवाल करे कि उसकी सुख-सुविधा और सुरक्षा पर जो करोड़ों-अरबों खर्च हो रहे हैं, उसके बदले आप सब राज्य की जनता को क्या दे रहे हैं? यदि इन सवालों के जवाब ईमानदारी से आप सब मिल कर ढूंढ़ते हैं, तो मामूली विवादों से उठ कर आप और आपकी टीम राज्य के हित में बहुत कुछ कर सकती है. कम से कम संविधान में तय मर्यादा के अनुसार सरकार चला सकती है. मुख्यमंत्री पद का आदर बढ़ा सकती है. और झारखंड में आनेवाली सरकारों के लिए एक बेहतर नजीर बन सकती है.

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