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राष्ट्रपति से मिले आजसू नेता, मांगा विशेष दरजा

नयी दिल्ली/ रांची: झारखंड को विशेष राज्य का दरजा देने की मांग को लेकर आजसू प्रमुख सुदेश महतो के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की. उन्हें ज्ञापन सौंपा. राष्ट्रपति ने प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री के साथ वार्ता करने का आश्वासन दिया. सुदेश महतो ने कहा : राष्ट्रपति ने इस मुद्दे […]

नयी दिल्ली/ रांची: झारखंड को विशेष राज्य का दरजा देने की मांग को लेकर आजसू प्रमुख सुदेश महतो के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की. उन्हें ज्ञापन सौंपा.

राष्ट्रपति ने प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री के साथ वार्ता करने का आश्वासन दिया. सुदेश महतो ने कहा : राष्ट्रपति ने इस मुद्दे पर सकारात्मक रुख दिखाया. उन्होंने कहा : योजना आयोग ने भी माना है कि बीमारू राज्यों में झारखंड सबसे पीछे है. यही नहीं, पिछड़ेपन के लिए बनी रघुराम राजन कमेटी के पैमाने पर भी झारखंड विशेष राज्य का हकदार है. विशेष दरजे से ही झारखंड सामाजिक और आर्थिक मोरचे पर तेजी से विकास कर सकता है.

झारखंड की वर्तमान सामाजिक और आर्थिक स्थिति में बदलाव और मानक विकास में तेजी लाने में मदद के लिए विशेष श्रेणी की परिस्थिति प्रदान करने का एकमात्र उपाय है. झारखंड विशेष राज्य का दरजा पाने की सभी अर्हता पूरी करता है.

फ्रेट इक्वलाइजेशन पॉलिसी से नुकसान हुआ
राष्ट्रपति को सौंपे ज्ञापन में फ्रेट इक्वलाइजेशन पॉलिसी से झारखंड को हुए नुकसान के बारे में सुदेश महतो ने कहा : इस नीति से राज्य के औद्योगिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ा. प्राकृतिक संसाधनों के मामले में समृद्ध होने के बावजूद राज्य से बड़े पैमाने पर पूंजी दूसरे राज्य में गयी. इस नीति के कारण राज्य को 1951-1990 तक 4529 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जो 2008-09 की कीमत पर 23 हजार करोड़ रुपये होता है. इसका राज्य पर दूसरा वित्तीय असर यह हुआ कि कई स्टील कंपनियों ने झारखंड के बजाय दूसरे राज्यों को प्राथमिकता दी. इससे राज्य को लगभग 89812 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इस नीति के खत्म होने के बाद भी उद्योग जगत के लिए दूसरे राज्यों में स्थापित इकाई को विस्तारित करना सस्ता पड़ता है.

रॉयल्टी के मौजूदा फॉमरूले पर उठाया सवाल
खनिजों पर मिलनेवाली रॉयल्टी के मौजूदा फॉमरूले पर सवाल उठाते हुए सुदेश महतो ने कहा : इससे राज्य को नुकसान हो रहा है. सीमेंट उद्योग को भी 1969-1989 के दौरान सालाना 3600 करोड़ रुपये के निवेश का नुकसान हुआ. इन नीतियों के कारण झारखंड को व्यापक वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है.

सुदेश महतो ने राष्ट्रपति को बताया : विभाजन के बाद झारखंड में कृषि योग्य भूमि का हिस्सा नाम मात्र का रह गया. झारखंड का कुल क्षेत्रफल 79,714 वर्ग किमी है, जिसमें लगभग 29 प्रतिशत हिस्से पर जंगल-पहाड़ हैं. सिर्फ एक चौथाई हिस्से पर खेती होती है. एक तिहाई से अधिक हिस्सा बंजर अथवा परती भूमि के रूप में वर्गीकृत है.

प्रति व्यक्ति नियत राज्य घरेलू उत्पाद के लिहाज से राज्य 1961-62 से ही सबसे निचले पायदान पर रहा है. 1991-92 से 1998-99 के बीच सकल राज्य घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर औसतन 2.88 प्रतिशत थी, जबकि महाराष्ट्र और गुजरात की वृद्धि दरें आठ प्रतिशत से भी अधिक थीं. केंद्रीय क्षेत्र में निवेश के निम्न और घटते स्तर ने भी राज्य के पिछड़ापन में योगदान किया. केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में निवेश भी तेजी से गिरा है. 1990 में सुधारों के आरंभ के बाद होनेवाले विकास के पैटर्न ने क्षेत्रीय असमानता बढ़ा दी है. इससे झारखंड समेत गरीब राज्यों का प्रदर्शन खराब होता गया.

सुदेश महतो के नेतृत्व में मिला प्रतिनिधिमंडल : विधायक चंद्रप्रकाश चौधरी, नवीन जायसवाल, उमाकांत रजक, रामचंद्र सहिस, कमल किशोर भगत भी थे.

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