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चारा घोटाला:लालू दोषी करार,जेल गये
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रांची : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से फर्जी ढंग से 37 7 करोड़ रुपये निकालने के मामले में गुरुवार को पांच वर्ष के कठोर कारावास और 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी और इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले के अनुरुप वह संसद की सदस्यता गंवा बैठेंगे तथा अगले 11 साल तक वह चुनाव भी नहीं लड सकेंगे.
बिहार के ही दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता जगन्नाथ मिश्र को अदालत ने चार वर्ष कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.अदालत ने अन्य सभी अभियुक्तों को भी चार से पांच वर्ष तक के कठोर कारावास और दो लाख रुपये से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सजा सुनायी.
विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र और 32 अन्य अभियुक्तों की सजा पर आज सुबह ग्यारह बजे से बहस सुनी और लगभग पौने बारह बजे उन्होंने इन सभी अभियुक्तों की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
अदालत ने लालू प्रसाद यादव समेत 34 अभियुक्तों को यहां नव स्थापित ई-अदालत से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बिरसा मुंडा जेल में ही एक -एक कर सजा सुनायी.
अदालत ने लालू प्रसाद यादव और बिहार के दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 420, 409, 467, 468, 471, 477ए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) एवं 13 (1)डी के तहत दोषी ठहराया.
लालू यादव पर अदालत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) के तहत 15 लाख रुपये जुर्माना और भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत दस लाख जुर्माना लगाया.
अदालत ने तीस सितंबर और आज भी अदालत में पेश नहीं हुए तीन अन्य अभियुक्तों को भी आखिरकार उनकी गैर मौजूदगी में ही सजा सुना दी और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया.
विशेष सीबीआई अदालत ने चाईबासा कोषागार से फर्जी ढंग से 37. 7 करोड़ रुपये निकालने के चारा घोटाला से जुड़े एक मामले में आज राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद को पांच साल की कैद और 25 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी, जबकि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को चार साल की कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.
विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने मामले में दोषी पाये गये जदयू के सांसद जगदीश शर्मा को चार साल की कैद और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.पूर्व नौकरशाह लोकलेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष आर के राणा को पांच साल की कैद और तीस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी.
वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये सुनायी गयी सजा में राजनीतिज्ञों और पूर्व नौकरशाहों को कैद की सजा के साथ ही जुर्माने के तौर पर भारी राशि अदा करने का भी आदेश दिया गया. राजनीतिज्ञों की बजाय नौकरशाहों पर ज्यादा जुर्माना लगाया गया.
गत तीस सितंबर को इस मामले में लालू यादव समेत 34 अभियुक्त दोषी करार दिये गये थे जिसके बाद से ये सभी न्यायिक अभिरक्षा में हैं. चौंतीसों बंदियों में से 33 यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं जबकि बीमार जगन्नाथ मिश्र रिम्स में भर्ती हैं.
अदालत के इस फैसले से अब लालू प्रसाद संसद की सदस्यता गंवा बैठेंगे और वह अगले 11 वर्ष तक चुनाव नहीं लड पायेंगे. जहानाबाद से जदयू सांसद जगदीश शर्मा भी उच्चतम न्यायालय के फैसले के परिप्रेक्ष्य में संसद की सदस्यता खो देंगे.राजद प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि इस फैसले को उच्च अदालत में चुनौती दी जायेगी. अदालत ने अजीत वर्मा को चार साल की सजा और 15 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी जबकि बी एन शर्मा, गया प्रसाद त्रिपाठी, अजरुन शर्मा और के एम प्रसाद प्रत्येक को पांच पांच साल की कैद और डेढ डेढ करोड़ रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.
लालू प्रसाद यादव को जब जेल में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सजा सुनायी गयी तो उनका चेहरा बिलकुल उड़ा हुआ नजर आ रहा था क्योंकि निश्चित तौर पर आज के फैसले से उनके राजनीतिक जीवन पर बड़ा ग्रहण लग गया है.
उच्चतम न्यायालय के दस जुलाई, 2013 के दो वर्ष से अधिक की कैद की सजा पाने वाले विधायकों और सांसदों की सदस्यता समाप्त करने और छह वर्ष के लिए उन्हें चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित करने के फैसले के मद्देनजर लालू की संसद की सदस्यता आज से समाप्त हो जायेगी.
इसके साथ ही उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के भविष्य पर भी कई सवाल उठ रहे हैं क्योंकि उसका नेतृत्व कौन करेगा और वह किन मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी यह एक यक्ष प्रश्न है.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र तबीयत खराब होने के चलते बिरसा मुडा जेल से रिम्स अस्पताल में लाकर भर्ती कराये गये हैं, जहां उन्हें फैसला सुनाया गया.
अदालत ने बीमारी और उम्र का ख्याल रखते हुए मिश्र को लालू की ही अपराध की धाराओं में सिर्फ चार वर्ष कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.
इसके अलावा अदालत ने नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड पार्टी के सांसद जगदीश शर्मा को भी चार वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में शर्मा की संसद सदस्यता भी खतरे में पड गयी.
राजद के पूर्व विधायक आर के राणा को अदालत ने पांच वर्ष की कैद और तीस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. इनकी भी विधानसभा की सदस्यता खतरे में पड गयी है.
वरिष्ठ नौकरशाहों में अदालत ने तत्कालीन विकास आयुक्त फूलचंद्र सिंह को चार वर्ष के कठोर कारावास और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. उनके अलावा तत्कालीन सचिव महेश प्रसाद को चार वर्ष की कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.
तत्कालीन सचिव बेक जूलियस को चार वर्ष के कारावास और दो लाख रुपये जुर्माने एवं तत्कालीन आयकर आयुक्त एसी चौधरी को चार वर्ष की कैद और तीन लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.
पशुपालन एवं कोषागार (टे्रजरी) के अधिकारियों में विशेष सीबीआई अदालत ने सर्वाधिक सजा पशुपालन अधिकारी डॉ बीएन शर्मा को सुनायी जिन्हें पांच वर्ष के सश्रम कारावास और डेढ़ करोड़ रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी. तत्कालीन सहायक कुक्कुट पदाधिकारी डॉ मुकेश प्रसाद वर्मा को चार वर्ष की कैद और 15 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी.
तत्कालीन पशु चिकित्सक गया प्रसाद त्रिपाठी को पांच वर्ष की कैद और डेढ़ करोड़ रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी. इसी प्रकार तत्कालीन सहायक कुक्कुट अधिकारी डॉ अर्जुन शर्मा को पांच वर्ष कैद, डेढ़ करोड़ रुपये जुर्माने की सजा, तत्कालीन सहायक निदेशक (योजना) डा केएम प्रसाद को पांच वर्ष कैद, डेढ़ करोड़ रुपये जुर्माने, तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक डॉ के एन झा को पांच वर्ष कैद, डेढ़ करोड़ रुपये जुर्माना, तत्कालीन बजट अधिकारी बीबी प्रसाद को पांच वर्ष कैद और डेढ़ करोड़ रुपये जुर्माना, तत्कालीन सहायक पशु अधिकारी डॉ गौरीशंकर प्रसाद को चार वर्ष कैद, पांच लाख रुपये जुर्माना, तत्कालीन कोषागार पदाधिकारी सिलास तिर्की को पांच वर्ष की कैद और बीस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी.
इनमें से ब्रजभूषण प्रसाद और के एन झा को अदालत ने उनकी अनुपस्थिति में ही सजा सुनायी. पहले सीबीआई के अधिवक्ता ने कहा था कि उन्हें अनुपस्थित रहने के कारण अदालत सजा नहीं सुनायेगी.
इनके अलावा विशेष सीबीआई अदालत ने चारा के बीस आपूर्तिकर्ताओं को भी आज सजा सुनायी. इनमें डॉ अजीत कुमार वर्मा को अदालत ने गैरहाजिरी में ही चार वर्ष की कैद और 15 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. अनुपस्थित तीनों लोगों के खिलाफ अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.
अजीत कुमार वर्मा के अलावा अन्य आपूर्तिकर्ताओं रवि कुमार सिन्हा को चार वर्ष कैद और 15 लाख रुपये जुर्माना, त्रिपुरारी मोहन प्रसाद को चार वर्ष कैद, तीस लाख रुपये जुर्माना, सुशील कुमार को चार वर्ष कैद, 30 लाख रुपये जुर्माना, मोहम्मद सईद को चार वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माना, मोहम्मद सनाउल हक को चार वर्ष कैद, पांच लाख रुपये जुर्माना, मो इकराम को चार वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माना, मो हुसैन को चार वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माना, मोहम्मद तौहीद को चार वर्ष कैद और बीस लाख रुपये जुर्माना, विजय कुमार मल्लिक को चार वर्ष कैद और बीस लाख रुपये जुर्माना, महेन्द्र सिंह बेदी को चार वर्ष कैद और 15 लाख रुपये जुर्माना की सजा विशेष अदालत ने सुनायी.
विशेष सीबीआई अदालत ने अन्य चारा आपूर्तिकर्ताओं में हरीश कुमार को चार वर्ष कैद और तीन लाख रुपये जुर्माना, राजन मेहता को चार वर्ष कैद, तीन लाख रुपये जुर्माना, अजय कुमार सिन्हा को चार वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माना, संजय सिन्हा को चार वर्ष कैद और तीन लाख रुपये जुर्माना, सत्येन्द्र कुमार मेहरा को चार वर्ष कैद और 15 लाख रुपये जुर्माना, रवीन्द्र कुमार मेहरा को चार वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माना, सुनील गांधी को चार वर्ष कैद और तीन लाख रुपये जुर्माना, दयानंद कश्यप को चार वर्ष कैद और तीन लाख रुपये जुर्माना एवं महेंद्र प्रसाद को सबसे कम चार वर्ष कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.
अदालत के आदेश सुनाने पर बिरसा मुंडा जेल से लालू प्रसाद समेत अनेक अभियुक्तों ने अपने को पूरी तरह निर्दोष बताया और कहा कि उनके साथ नाइंसाफी हुई है. इस पर अदालत ने उन सभी को उच्च न्यायालय में अपील दाखिल कर अपनी बात रखने को कहा.
इस मामले में फैसला सुनाये जाने की तिथि 30 सितंबर को अदालत में हाजिर नहीं हुए तीन अभियुक्त आज भी अदालत में हाजिर नहीं हुए जिनके खिलाफ अदालत ने फिर से गिरफ्तारी वारंट जारी किया.
लालू यादव समेत तीस तारीख को इस मामले में दोषी करार दिये गये 34 अभियुक्त दोषी करार दिये जाने के बाद से न्यायिक अभिरक्षा में थे. चौंतीसों बंदियों में से 33 यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं जबकि बीमार जगन्नाथ मिश्र रिम्स में भर्ती हैं.
प्रवास कुमार सिंह की विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को इस मामले में इन सभी आरोपियों और आठ अन्य आरोपियों समेत कुल 45 को दोषी करार दिया था और तीन वर्ष की सजा पाने वाले राजनीतिज्ञों विद्यासागर निषाद, ध्रुव भगत, पूर्व आइएएस के मुरुमुगम समेत आठ को अस्थाई जमानत देने के अलावा अन्य सभी को होतवार स्थित बिरसा मुंडा जेल भेज दिया था. जेल से बाद में तबियत खराब होने के कारण मिश्र को रिम्स अस्पताल भेज दिया गया था.
आज कुल 37अभियुक्तोंको वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अदालत ने सजा सुनाकर झारखंड के इतिहास में ई कोर्ट के जरिये सजा सुनाने की शुरुआत की.
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