रांचीः भाजपा विधायक दल की रांची में हुई बैठक में शुक्रवार को रघुवर दास को आम सहमति से विधायक दल का नेता चुना गया. इससे अब यह स्पष्ट हो गया है कि रघुवर दास झारखंड के अगले मुख्यमंत्री होंगे. रघुवर दास राज्य में पूर्व में कई अहम पदों पर रह चुके हैं. उनके पास राजनीति का लंबा अनुभव है. वे फिलहाल भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेवारी भी संभाल रहे हैं.
14 साल के इतिहास में पहली बार इस राज्य में कोई गैर आदिवासी मुख्यमंत्री होगा.यह चुनाव 14 वर्ष तक झारखंड में कायम राजनितिक अनिश्चतता और प्रशासनिक अराजकता के सवाल पर ही लडा गया था. जाहिर है ऐसी स्थिति में जो भी सरकार चुनकर आयी है उसे इन्हीं सवालों से सबसे पहले दो-चार होना होगा.
रघुवर दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष का भी विश्वास हासिल है. केंद्र में उनकी पार्टी के पास ठोस बहुमत की सरकार है जबकि राज्य में उनका गठबंधन के साथ सत्ता में काबिज हो रहा है ऐसे में रघुवर केंद्र की बेवफाई व सहयोग न करने अथवा पैसे न देने जैसे मुख्यमंत्रियों के रटे रटाए जुमले को दुहरा कर जनता के सामने अपनी जिम्मेवारियों से बच नहीं सकेंगे. उन्हें ठोस, त्वरित और प्रभावी काम करना होगा. विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद उनके पहले बयान से यह एहसास भी हुआ कि उन्हें इन सच्चाइयों का आभास है.
आइए जानते हैं रघुवर दास के सामने क्या हैं दस बड़ी चुनौतियां
चुनौतियों के पहले जानें कि भाजपा ने 2014 के विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में क्या कहा था-
भाजपा का 2014 के लिए घोषणा पत्र
1. भाजपा ने संपूर्ण सुरक्षा चक्र के तहत खाद्य सुरक्षा के लिए प्रत्येक बी.पी.एल. परिवार को 1 रुपए/किलो की दर से 35 किलो गेहूं/चावल, 25 पैसे प्रति किलो की दर से आयोडीन युक्त नमक तथा रियायती दर पर अन्य खाद्य वस्तुएं देने का वादा किया.
2. पार्टी का स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए सरकारी अस्पतालों में सभी को मुफ्त दवा, तथा बीपी एल परिवारों के रोगियों को असाध्य बिमारियों के इलाज के लिए सरकारी सहायता का वादा.
3. एससी/एसटी छात्रों को निशुल्क तकनीकी शिक्षा, तथा आर्थिक रूप से कमजोर सभी तबकों के छात्रों के लिए छात्रवृत्तियां, उच्च शिक्षा हेतु सभी छात्रों को मात्र 1 % ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने का वादा.
4. भ्रष्टाचार मुक्त विकास
5. भ्रष्टाचार संबंधी मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए विशेष अदालतों का गठन और हर श्रेणी के लोक सेवकों के लिए सम्पत्ति की घोषणा को अनिवार्य करना.
6. औद्योगिक विकास पर बल
7. खेती के लिए सिंचाई के साधन उपलब्ध कराना
8. राज्य के सभी इलाकों में जमीन के मुताबिक खेती के अवसर पैदा करना
चुनौतियां
1.राज्य से गरीबी के बोझ को कम करना
झारखंड में गरीबी एक बडी समस्या है. अभी भी करीब 40 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं. इनके समक्ष यह चुनौती होगी कि बीपीएल को सस्ते में अनाज देने के अपने वायदे के साथ-साथ राज्य में गरीबी दूर करने के भी उपाय ढूंढे.
2. बेरोजगारी
यहां की एक बडी जनसंख्या काम की तलाश में दूसरे राज्यों में जा रहे हैं. इससे यहां की श्रम शक्ति घट रही है साथ ही यहां की प्रतिभा का पलायन हो रहा है. इस दिशा में भी उनकी एक गंभीर चुनौती होगी.
3.नक्सल समस्या
अगर विकास से हटकर देखा जाय तो झारखंड की सबसे बडी समस्या नक्सलवाद है. आये दिन राज्य में नक्सलवादी घटनाएं देखने को मिलती है. अब उनके समक्ष यह बडी चुनौती होगी कि इसे किस तरह से वे हल कर पायेंगे.
4. स्थानीयता को परिभाषित करना
झारखंड गठन के समय से ही राज्य में स्थानीयता को लेकर बहस जारी है. इसको लेकर राज्य में कई तरह की नियुक्तियां भी लटकी हुई है. अब एक गैर आदिवासी मुख्यमंत्री के नाते वह इसे किस रुप में लेते हैं और उसका क्या सर्वमान्य हल निकालते हैं यह देखने की बात होगी.
5.सिंचित भूमि का विकास
झारखंड में अभी भी सिंचित भूमि का काफी अभाव है. वास्तविक रुप में देखा जाय तो यहां केवल 9 फीसदी सिंचित भूमि है. हालांकि सरकारी आंकड़े में यह 26 फीसदी बताया जाता है.
6. शिक्षा
2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड की साक्षरता दर 66.40 प्रतिशत है. इसमें से पुरुष साक्षरता दर 76.84 तथा महिला साक्षरता दर केवल 52.04 प्रतिशत है. इससे स्पष्ट है कि अभी भी राज्य में साक्षरता दर की कमी है और सबसे खराब स्थिति महिलाओं की है. इसके अलावा रोजगार परक शिक्षा देने की चुनौती भी उनके समक्ष होगी.
7. महिला और बाल स्वास्थ्य
झारखंड में महिला और बाल स्वास्थ्य की स्थिति भी अच्छी नहीं है. यहां कुपोषण और शिशु मृत्यु दर की प्रतिशता भी तुलनात्मक रुप से अधिक है. एक आंकड़े के अनुसार यहां के गोड्डा जिले में पूरे देश में सबसे अधिक मातृ मृत्यु दर है.
8. आदिवासी समुदाय का विकास
संभवतः 14 वर्षों तक यहां इसलिए आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया जाता रहा ताकि यहां की पिछडी जनजातियों का विकास हो सके. अब यहां रघुवर दास पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बन रहे हैं. ऐसे में आदिवासी जनसंख्या को इनसे अपेक्षा होगी कि 14 सालों में जो इनके हित के लिए जो नहीं हो पाया वह अब हो.
9. भ्रष्टाचार मुक्त विकास व पारदर्शिता
भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी इसका दावा किया है कि हम राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त विकास देंगे. राज्य में भ्रष्टाचार की समस्या किसी से छुपी नहीं है. राजनीतिक, प्रशासनिक, पुलिस लगभग सभी हलकों में यह समस्या व्याप्त है. इनके समक्ष बडी चुनौती होगी कि भ्रष्टाचार मुक्त विकास के लिए ये किस तरह की रणनीति बनाते हैं.
10. सबको साथ लेकर चलने की चुनौती
भाजपा ने इस बार पूर्ण बहुमत तो प्राप्त किया है लेकिन इसमें एक अन्य दल आजसू का भी सहयोग है. इसके अलावा केंद्र सरकार भी है जिससे सामंजस्य बैठाते हुए उनको काम करना है.