अब नये कानून के तहत यह व्यवस्था की गयी है कि यदि सशस्त्र बल के जवान यौनिक हिंसा में लिप्त होते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. वह रविवार को नेटवर्क ऑफ एडवोकेट्स फॉर राइट्स एंड एक्शन (नारा) द्वारा आयोजित ‘महिलाओं के खिलाफ बढ़ती यौनिक हिंसा व कानून का दायित्व’ विषयक सेमिनार में बोल रही थीं. इसका आयोजन गोस्सनर कंपाउंड स्थित एचआरडीसी में किया गया.
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महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ी
रांची: सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जहां प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जे की कोशिश होती है, वहां महिलाओं के खिलाफ हिंसा में इजाफा होता है. इन्हीं कारणों से झारखंड में महिलाओं की स्थिति कमजोर हुई है. छत्तीसगढ़ में आंदोलन को दबाने के लिए सोनी सोरी के खिलाफ यौनिक हिंसा का सहारा लिया […]
रांची: सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जहां प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जे की कोशिश होती है, वहां महिलाओं के खिलाफ हिंसा में इजाफा होता है. इन्हीं कारणों से झारखंड में महिलाओं की स्थिति कमजोर हुई है. छत्तीसगढ़ में आंदोलन को दबाने के लिए सोनी सोरी के खिलाफ यौनिक हिंसा का सहारा लिया गया था.
उन्होंने कहा कि महिलाओं की आजादी, स्त्री-पुरुष बराबरी या उनके खिलाफ हिंसा के मुद्दों पर राजनीतिक पार्टियां रोटियां सेंकती हैं. झारखंड माइंस एरिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की एलिस चेरवा ने भी अपने विचार रखे. इस मौके पर गोपीनाथ घोष ने रिसर्च रिपोर्ट का उल्लेख किया.
कानून में क्या हुआ है बदलाव : वर्ष 2013 में भारतीय दंड संहिता में धारा-354 (क) जोड़ कर महिलाओं का पीछा करना, ताक झांक करना, उन्हें डायन कहना, नि:र्वस्त्र कर गांव में घुमाना आदि को दंडनीय तथा गैर जमानती अपराध बनाया गया है. धारा 376 में अनुच्छेद (क), (ख), (ग), (घ) आदि जोड़ कर बलात्कार की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है. पीड़िता का नजदीकी सरकारी या निजी अस्पताल में मुफ्त इलाज कराने का प्रावधान है.
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